Thursday, July 9, 2015

मत सोचा कर

मत सोचा कर, मत सोचा कर 
इतना ज़्यादा मत सोचा कर    
जो  हुआ,  वो  होना  ही  था 
क्यों होना थामत सोचा कर 

जो भी  होगा, अच्छा होगा 
कब क्या होगा मत सोचा कर 

क्या मिलेगा सोच सोच कर
दर्द बढ़ेगा,  मत सोचा कर    

तदबीरें    काम आईं  तो 
पछतायेगामत सोचा कर

होगा वही जो क़िस्मत में है 
मान ले कहना मत सोचा कर 

कौन है अपना कौन पराया 
रिश्ता नाता मत सोचा कर 

इक  ही रब के हैं सब बन्दे 
चंगा  मंदा  मत सोचा कर 

कर्म किये जाकर्म किये जा 
फल क्या होगा मत सोचा कर 

लम्हा लम्हा जीवन जी ले      
कब तक जीना,मत सोचा कर 
जाना ही है मंज़िल पर, तो 
धूप या छाया मत सोचा कर 

'राजन' दुनिया में क्या हमने 
खोया पाया,  मत सोचा कर 


        'राजन सचदेव '          
           जुलाई 8, 2015

नोट :  इस ग़ज़ल का रदीफ़ (मत सोचा कर) मैंने जनाब फ़रहत शहज़ाद की एक ग़ज़ल से
      लिया  है रदीफ़ उन का है  लेकिन बाकी ग़ज़ल मेरी अपनी है
           शहज़ाद साहिब की ग़ज़ल है:
         " तनहा तनहा मत सोचा कर
            मर जायेगा मत सोचा कर "




2 comments:

  1. bahut sunder rachna hai aapki,

    " JAAHI VIDHI RAAKHE RAM,WAHI VIDHI RAHIYE"

    anil

    ReplyDelete

Look for three things - तीन चीजें देखने की कोशिश करें

"Look for three things in a person -  Intelligence,  Energy, and  Integrity.  If they don't have the last one,           don't ...