Monday, March 29, 2021

Happy Holika Dehan - होलिका की कहानी और अर्थ

भागवत पुराण के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक राजा था जिसे कई अन्य राक्षसों और असुरों की भांति अमर होने की तीव्र इच्छा थी।
इस इच्छा को पूरा करने के लिए उसने तपस्या की और अंततः उसे भगवान ब्रह्मा द्वारा अमरत्व का वरदान मिल गया।

उस वरदान को पाकर वह अत्यंत अहंकारी हो गया और अपने राज्य में सभी को अपनी पूजा करने का आदेश दिया। 
लेकिन उस के बेटे प्रहलाद ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। 
उन्होंने कहा कि वह एक सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर के अलावा और किसी की उपासना नहीं करेंगे।
हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित हुआ, और उसने अपने ही पुत्र प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए।
लेकिन प्रह्लाद हर बार चमत्कारिक रुप से बच गया।
कई प्रयासों में विफल होने के बाद, राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को मदद के लिए बुलाया।

कहानी के अनुसार, होलिका के पास एक विशेष ओढ़नी थी - एक ऐसा शॉल था जिसे ओढ़ने के बाद आग उसे जला नहीं सकती थी।
वह अपनी गोद में युवा प्रह्लाद को बिठा कर जलती हुई आग पर बैठने को तैयार हो गई - इस विचार से कि उसे तो आग से कोई नुकसान नहीं होगा और प्रह्लाद जल जाएगा।
लेकिन जैसे ही आग भड़की, वह शॉल होलिका के तन से उड़ कर प्रह्लाद के ऊपर गिर गया और उसे पूरी तरह से ढँक दिया। 
इस तरह होलिका तो जलकर भस्म हो गई, और प्रह्लाद को कोई आंच नहीं आई।

अन्य सभी प्राचीन हिंदू कहानियों की तरह - इस कहानी के पीछे भी कुछ गहरे, प्रतीकात्मक अर्थ हैं।
होलिका एक दानव वृति की स्त्री थी - बुरे विचारों वाली।
लेकिन वह अपने विशेष शॉल के साथ अपने बुरे इरादों को छुपाने में सक्षम थी।
शॉल - अर्थात बाहर से अच्छाई का आवरण और अपने चेहरे पर अच्छाई का मुखौटा पहन लेती थी और लोगों के क्रोध की आग से बच जाती थी।
लेकिन जब उसे प्रहलाद के साथ परीक्षण की आग का सामना करना पड़ा तो उसका आवरण उड़ गया। सभी ने उसके असली रुप को - नकाब के बिना उसके असली चेहरे को देख लिया और प्रह्लाद की सच्चाई और पवित्रता सबके सामने स्पष्ट हो गई।

हम अक्सर अपने आस पास इस प्रकार के कई दृश्य देखते हैं।
बहुत से लोग - जो वास्तव में स्वार्थी, लालची और अहंकारी हैं लेकिन सबके सामने अच्छे होने का ढोंग करते हैं - संत होने का दावा करते हैं।
दान इत्यादि अच्छे कर्मों का आवरण ओढ़ कर - मुख पर सरलता और भोलेपन का मुखौटा पहन कर अपने वास्तविक इरादों को छिपाने में सफल हो जाते हैं।
उन्हें लगता है कि जनता अथवा लोग उनका कोई नुकसान नहीं कर सकते।
लेकिन जब प्रहलाद जैसे सच्चे महात्माओं का आगमन होता है तो ऐसे लोगों का झूठ प्रकट होते ही उनका शासन भी समाप्त हो जाता है। 
और सत्य की विजय होती है।
                                                  ' राजन सचदेव '

6 comments:

What is Moksha?

According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...