कहते हैं कि इंसान ग़लतियों का पुतला है।
हर इंसान में कोई न कोई त्रुटि - कोई कमी - कोई दोष अवश्य होता है
और सभी से जीवन में कभी न कभी - कहीं न कहीं कोई ग़लती हो ही जाती है कोई भी इंसान हर तरह से पूर्ण नहीं होता।
लेकिन, ग़लती जीवन के एक वरक - एक पन्ने की तरह होती हैं और रिश्ते पूरी किताब की तरह।
किसी एक पृष्ठ के कारण पूरी किताब को बंद कर देना कोई अच्छी या समझदारी की बात नहीं।
' राजन सचदेव '
🙏🙏
ReplyDeleteIn total agreement 🙏
ReplyDeleteWell said
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