भारत में एक पुरानी कहावत है -
कर भला - हो भला - अंत भले का भला
अर्थात अच्छा करो - और अच्छाई ही वापस मिलेगी।
अंत में, भलाई का परिणाम हमेशा अच्छा ही होता है।
इसलिए, हमें हमेशा अच्छा और सब का भला करने की कोशिश करनी चाहिए।
यथासंभव हर एक की सहायता करनी चाहिए - चाहे वो शारीरिक रुप से हो या किसी को किसी भी तरह से कुछ सिखाने और मार्गदर्शन करने के लिए हो - अर्थात जो भी हम कर सकते हैं - जिस तरह से भी कर सकते हैं - वो अवश्य करें ।
कोई भी हमारी भलाई करने की भावना और क्षमता को हमसे छीन नहीं सकता।
हमें स्वयं अपने लिए अथवा दूसरों के लिए अच्छा करने से रोक नहीं सकता।
अगर कोई रोकने की कोशिश भी करे - तो भी हम शुभकर्म करने का कोई न कोई और तरीका ढूँढ सकते हैं।
लेकिन हमारी शुभ भावनाएं उस समय मर जाती हैं - हमारी शुभकर्म करने की इच्छा और उसके लिए प्रयत्न उस समय रुक जाते हैं जब हम उन्हें स्वयं स्वेच्छा से त्याग देने का निश्चय कर लेते हैं।
किसी की सहायता - किसी का भला करना या न करना - यह निश्चय लेना हमारे अपने हाथ में है।
इसलिए अच्छा बनने और किसी का भला करने का अवसर कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
क्योंकि -- अंत भले का भला
भलाई का परिणाम अच्छा ही होगा - केवल औरों के लिए ही नहीं - बल्कि अपने लिए भी।
' राजन सचदेव '
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ReplyDeleteDhan Nirankar 🙏🙏👌👌
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