and to want nothing from anyone -
Not even from God.
आशा और तृष्णा से रहित होना ही पूर्ण शांति है
अर्थात किसी से कुछ भी मिलने की इच्छा और आशा न रखना
यहाँ तक कि परमात्मा से भी नहीं
दुनिया में हर काम की तदबीर बदलती रहती है अक़्सर ही इंसान की तक़दीर बदलती रहती है आती जाती रहती हैं 'राजन' ये शान और शोहरतें शीशा रह...
🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteAshirwad den ese pravrati bane🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteThats deep and true thought.
ReplyDelete🙏🙏
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