Thursday, September 10, 2020

क्यों मुझमें तुझमें दूरी है ?

तू अंदर है - बाहर भी तू 
क्या सच है - क्या धोखा है?

इस उलझन में जुग बीत गया 
मैं हार गया जग जीत गया 

क्या देना है क्या रखना है 

क्या अपना है क्या सपना है 

ये सोता है वो जगता है 

है कौन जो जग को ठगता है?

अपनी 'मैं ' से जब उलझूँगा 

तब कहीं मैं जा कर सुलझूंगा 

इस 'मैं ' में जब तू बसता है  

माया का साँप क्यों डसता है?

मैं जग में हूँ - जग मुझमें है 
तू जग में है - जग तुझमें है

क्यों मुझमें तुझमें दूरी है
                  क्या मुझमें तुझमें दूरी है ?

                       (बक़लम - डॉक्टर जगदीश सचदेव - मिशिगन)

6 comments:

  1. Wonderful - Vedantic ideology

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  2. Dhan Nirankar.
    Both sentiments and poetic form are commendable.
    One more Sachdeva with dual talents 🙏🙏🙏🙏

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  3. Your thoughts show your closeness to Him.
    With His Gracious Blessings " SAB ULJHANE SULAJH JAINGI "

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  4. Your thoughts show your closeness to Him.
    With His Gracious Blessings " SAB ULJHANE SULAJH JAINGI "

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