मेरा वज़ूद उसके ऍन, शीन, क़ाफ़ में है
कल अचानक एक वैब साइट (Website) से ये खूबसूरत शेर मिला
जिस में बहुत ही सुंदर और गहरे भाव छुपे हुए हैं
अक़्सर लोगों की इबादतअथवा भक्ति कर्मकांड और नियमों पर आधारित होती है -
कुछ ख़ास रीति-रिवाज़ों से जुड़ी होती है - जिस में कुछ नियमों का - अनुशासन का पालन करना पड़ता है
लेकिन यहां शायर कहता है कि मेरी भक्ति तो सिर्फ तेरे ऍन, शीन, क़ाफ़ में है।
ऍन - शीन - क़ाफ़ अरबी भाषा के लफ्ज़ हैं जो फ़ारसी और उर्दू लिखने में भी इस्तेमाल होते हैं।
अर्थात मेरी भक्ति तो सिर्फ उस के इश्क़ से जुड़ी है
इन्हें यदि हिंदी में लिखें तो ये शब्द होंगे ' इ - श - क़
और इन तीनों को एक साथ लिखने से बनता है - 'इश्क़
और इन तीनों को एक साथ लिखने से बनता है - 'इश्क़
अर्थात मेरी भक्ति तो सिर्फ उस के इश्क़ से जुड़ी है
और इश्क़ में किसी नियम, अनुशासन और रीति-रिवाज़ों का बंधन नहीं होता
संत कबीर जी महाराज ने भी ऐसा ही कहा है :
जहां प्रेम तहां नेम नहीं - तहां न बुद्धि व्योहार
प्रेम मगन जब मन भया तो कौन गिने तिथि वार
यदि हम समय और नियमों को ही देखते रहें तो प्रेम कैसे हो सकता है?
जिसका मन प्रेम में मगन हो उसे समय और रीति-रिवाज़ों का ध्यान ही कहाँ रहता है ?
प्रेम में डूबे हुए मन को तो प्रभु के सिवाए कुछ और दिखाई ही नहीं देता।
इसीलिए तो वह लोक लाज कुल मर्यादा सब कुछ भूल गई और --
'पग घुँघरु मीरा नाची रे '
' राजन सचदेव '
संत कबीर जी महाराज ने भी ऐसा ही कहा है :
जहां प्रेम तहां नेम नहीं - तहां न बुद्धि व्योहार
प्रेम मगन जब मन भया तो कौन गिने तिथि वार
यदि हम समय और नियमों को ही देखते रहें तो प्रेम कैसे हो सकता है?
जिसका मन प्रेम में मगन हो उसे समय और रीति-रिवाज़ों का ध्यान ही कहाँ रहता है ?
प्रेम में डूबे हुए मन को तो प्रभु के सिवाए कुछ और दिखाई ही नहीं देता।
इसीलिए तो वह लोक लाज कुल मर्यादा सब कुछ भूल गई और --
'पग घुँघरु मीरा नाची रे '
' राजन सचदेव '
एतक़ाफ़ = साधना , उपासना, भक्ति
ऍन, शीन, क़ाफ़ (अरबी , फ़ारसी, उर्दू ) = हिंदी - इ, श, क़
Very true ji
ReplyDelete🎩
ReplyDelete😁
👕👍Great!
👖
Ishqiya bhakti..premabhakti
ReplyDeleteKaash! Ishq hakiki ko samjh payein and yeh ho jaye. (काश! इस इश्क़ हकीकी को समझ पाएं और यह वास्तव में हो जाये).
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