Sunday, September 13, 2020

आज का ख़त

कल न रहूंगी जब यहां मैं - जग मेरी बा्तें याद करेगा
किसी के दिल में खुशियां होंगी किसी को ग़म नाशाद करेगा

मेरे जाने पर विरह में - तुम कोई शोक गीत न गाना
मेरी याद में आँखों से भी तुम कोई आँसू ना बरसाना

कोई शोक सभा ना रखना - ना फ़ोटो पर हार चढ़ाना
कुछ भूखे लोगों को बस तुम हो सके खाना खिलवाना

बाद में मेरे जाने के गर सब इकठे हुए तो क्या
मेरे जीते जी ही महफ़िल अगर सजा लो बुरा है क्या

दो अल्फ़ाज़ तारीफ़ में मेरी बाद में जो तुम बोलोगे
आज ही मुझसे कह दोगे तो दिल मेरा भी मोह लोगे

रखना मन में उन यादों को खड़ी रही जब साथ तुम्हारे
तुम भी साथ निभाना यूँ ही मुश्किल में जब कोई पुकारे

यही तक़ाज़ा है वक्त का यही आज का सच भी है
यही आज की कविता मेरी यही आज का ख़त भी है
                                             ' कविता बेकल '

2 comments:

  1. Dhan Nirankar.
    Loved it . Very true.🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुंदर रचना है

    ReplyDelete

सुख मांगने से नहीं मिलता Happiness doesn't come by asking

सुख तो सुबह की तरह होता है  मांगने से नहीं --  जागने पर मिलता है     ~~~~~~~~~~~~~~~ Happiness is like the morning  It comes by awakening --...