एक पत्रकार एक सेमिनार में भाषण दे रहा था।
गहन चिंता के साथ उसने कहा: आज दुनिया की हालत बहुत ही खराब है।
लगभग आधा अरब लोग युद्ध में हैं - एक दूसरे के साथ लड़ रहे हैं।
दुनिया को क्या हो गया है? मैं यह सब देखकर बहुत चिंतित और दुखी हूं।
आज दुनिया वैसी नहीं है जैसी पहले हुआ करती थी। यह बहुत दुःख की बात है।
अचानक, श्रोताओं में से एक व्यक्ति उठा और उसने कहा:
'क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ? विश्व की वर्तमान जनसंख्या कितनी है?'
"आंकड़ों के अनुसार, लगभग साढ़े सात अरब - पत्रकार ने जवाब दिया।
उस आदमी ने कहा: 'आपने अभी कहा था कि लगभग आधा अरब लोग युद्ध कर रहे हैं - एक दूसरे के साथ लड़ रहे हैं।
तो इसका मतलब यह हुआ कि सात अरब लोग युद्ध में नहीं हैं - लड़ नहीं रहे हैं ।
यानी सात अरब लोग संसार में शांति पूर्वक रह रहे हैं।
मैं समझता हूँ कि यह दुख की बात है कि आधा अरब लोग आपस में लड़ रहे हैं,
लेकिन हमें इस बात से भी कुछ तो संतोष होना चाहिए कि आखिर सात अरब लोग तो शांति से रह रहे हैं - लड़ नहीं रहे हैं। '
हम हमेशा नकारात्मकता पर ही क्यों ध्यान केंद्रित करते हैं?
हमेशा उसी की बात क्यों करते हैं जो अच्छा नहीं है?
हर समय लोगों की आलोचना और निंदा करने की बजाय, हम अच्छे और दयालु लोगों की प्रशंसा और सराहना करने में समय क्यों नहीं लगाते?
दुनिया इतनी बुरी नहीं है
घर से ज़रा निकल कर देखो
बाहर निकल कर यदि निष्पक्ष दृष्टि से देखेंगे तो एहसास होगा कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी हम समझते हैं।
'राजन सचदेव'
गहन चिंता के साथ उसने कहा: आज दुनिया की हालत बहुत ही खराब है।
लगभग आधा अरब लोग युद्ध में हैं - एक दूसरे के साथ लड़ रहे हैं।
दुनिया को क्या हो गया है? मैं यह सब देखकर बहुत चिंतित और दुखी हूं।
आज दुनिया वैसी नहीं है जैसी पहले हुआ करती थी। यह बहुत दुःख की बात है।
अचानक, श्रोताओं में से एक व्यक्ति उठा और उसने कहा:
'क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ? विश्व की वर्तमान जनसंख्या कितनी है?'
"आंकड़ों के अनुसार, लगभग साढ़े सात अरब - पत्रकार ने जवाब दिया।
उस आदमी ने कहा: 'आपने अभी कहा था कि लगभग आधा अरब लोग युद्ध कर रहे हैं - एक दूसरे के साथ लड़ रहे हैं।
तो इसका मतलब यह हुआ कि सात अरब लोग युद्ध में नहीं हैं - लड़ नहीं रहे हैं ।
यानी सात अरब लोग संसार में शांति पूर्वक रह रहे हैं।
मैं समझता हूँ कि यह दुख की बात है कि आधा अरब लोग आपस में लड़ रहे हैं,
लेकिन हमें इस बात से भी कुछ तो संतोष होना चाहिए कि आखिर सात अरब लोग तो शांति से रह रहे हैं - लड़ नहीं रहे हैं। '
हम हमेशा नकारात्मकता पर ही क्यों ध्यान केंद्रित करते हैं?
हमेशा उसी की बात क्यों करते हैं जो अच्छा नहीं है?
हर समय लोगों की आलोचना और निंदा करने की बजाय, हम अच्छे और दयालु लोगों की प्रशंसा और सराहना करने में समय क्यों नहीं लगाते?
दुनिया इतनी बुरी नहीं है
घर से ज़रा निकल कर देखो
बाहर निकल कर यदि निष्पक्ष दृष्टि से देखेंगे तो एहसास होगा कि दुनिया उतनी बुरी नहीं है जितनी हम समझते हैं।
'राजन सचदेव'
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