अगर मनचाहा बोलना चाहते हो
तो अनचाहा सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए
अक़्सर हम दूसरों को कहते हैं कि आलोचना को सकारात्मक रुप से लेना चाहिए।
हम औरों को तो विशालता और सहनशीलता की प्रेरणा देते हैं -
लेकिन यदि कोई हमारी आलोचना करे, तो हम स्वयं उसे सकारात्मक रुप से नहीं लेते
हमारी प्रतिक्रिया अक़्सर नकारात्मक अथवा कुछ अलग ही होती है।
क्या दोनों स्थितियों में समानता नहीं होना चाहिए?
अगर हम अपने प्रति कोई आलोचना सुन नहीं सकते -
तो हमें दूसरों की आलोचना करने का भी कोई हक़ नहीं है।
' राजन सचदेव '
तो अनचाहा सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए
अक़्सर हम दूसरों को कहते हैं कि आलोचना को सकारात्मक रुप से लेना चाहिए।
हम औरों को तो विशालता और सहनशीलता की प्रेरणा देते हैं -
लेकिन यदि कोई हमारी आलोचना करे, तो हम स्वयं उसे सकारात्मक रुप से नहीं लेते
हमारी प्रतिक्रिया अक़्सर नकारात्मक अथवा कुछ अलग ही होती है।
क्या दोनों स्थितियों में समानता नहीं होना चाहिए?
अगर हम अपने प्रति कोई आलोचना सुन नहीं सकते -
तो हमें दूसरों की आलोचना करने का भी कोई हक़ नहीं है।
' राजन सचदेव '
Very much true
ReplyDeleteIn agreement
ReplyDeleteRightly said
ReplyDeleteWorthy self check before criticize others.
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