Thursday, June 1, 2017

आजीवन विद्यार्थी

फलाकांक्षा जब से त्यागी - हर पल, हर क्षण, जीना सीखा
गंतव्य लालसा जब से छोड़ी, आनंद सफ़र का लेना सीखा
मद की मदिरा जब से त्यागी, सहज भाव से जीना सीखा
राग द्वेष को दफ़ना कर के, प्रेम पुजारी बनना सीखा
कर संहार मृत्यु का मैंने, जीवटता से जीना सीखा

मौत मर गई जिस दिन मेरी, उस दिन मैंने जीना सीखा
मौत मर गई जिस दिन मेरी, उस दिन मैंने जीना सीखा

               By : डॉक्टर सतीश व्यास (मिशिगन USA )


No comments:

Post a Comment

Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega