जब कुंआँ खोदा जाता है तो पहले सिर्फ मिट्टी निकलती है
फिर कीचड़ यानि पानी मिली हुई मिट्टी ......
फिर गंदा - मिट्टी से भरा हुआ पानी ........
लगातार प्रयास करते रहने से मिट्टी और गंदगी कम होती जाती है
और अंत में साफ़ शुद्ध जल प्राप्त होता है
ऐसे ही जब हम सुमिरन करने बैठते हैं तो मन में इधर उधर के विचार
अधिक आने लगते हैं
लेकिन प्रयास करते रहने से धीरे धीरे सांसारिक विचार कम होने लगते हैं
और मन शांत होने लगता है
सुमिरन जितना अधिक होगा, मन का दर्पण उतना ही साफ़ और पवित्र होगा
और स्वयं - तथा परमात्मा का चित्र उतना ही स्पष्ट उभरने लगेगा
very true!!
ReplyDeleteGood analogy - yes, practice is the key.....
ReplyDeleteIt's reality.....but very tough for concentration.....sometimes this situation come in life....because materialistic world powerful but GoD realization is super power full.....regular saint's company help for this situation and became unconditional stage I.e sumiran only
ReplyDeleteDhan Nirankar ji
ReplyDeleteGood example very true.
Best regards
Harvinder Bains
Thanks for the advice ji .
ReplyDeleteKind Regards
Kumar