क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जन्माष्टमी के अवसर पर दी जाने वाली शुभ कामनाओं में अक़्सर मुस्कुराते हुए बाल कृष्ण
- अर्थात भगवान कृष्ण के बचपन के मुस्कुराते हुए चित्र ही होते हैं जो बचपन की सादगी और चिंतामुक्त भोलेपन को दर्शाते हैं।
सादगी और भोलापन - निश्छलता एवं निष्कपटता मानव जीवन में मधुरता का संचार करती है।
मधुरता और मुस्कुराहट के साथ ही हर चित्र में तीन अन्य प्रमुख प्रतीक भी मिलते हैं।
मोरपंख - मुरली और माखन
मोरपंख सुंदरता का प्रतीक है
मुरली संगीत का - प्रेम के संगीत का प्रतीक है।
और माखन जीवन एवं संसार के सार तत्व का प्रतीक है।
इन तीन प्रतीकों में मानव जीवन को सुंदर बनाने का रहस्य छुपा है
ये मानव जीवन को उत्तम बनाने की कला की ओर संकेत देते हैं।
ये सत्यम शिवम सुंदरम का प्रतीक हैं।
कृष्ण को मोरपंख अर्थात सुंदरता पसंद है
हम भी हर वस्तु और हर व्यक्ति में सुंदरता देखने का प्रयत्न करें - नकारात्मकता नहीं बल्कि सकारात्मकता को देखने का प्रयत्न करें।
कृष्ण की मुरली प्रेम का संगीत है। प्रेम का संदेश है - कि प्रेम ही सबसे बड़ी शक्ति है।
भगवान कृष्ण मटके में से माखन निकाल निकाल कर खाते हैं -
हमें भी इस संसार रुपी मटके अथवा अपने जीवन रुपी मटके में से माखन अर्थात सार तत्व अथवा सत्य को जानने एवं अपनाने का प्रयास करना चाहिए।
हमेशा सत्य की खोज करें - केवल सत्य को ग्रहण करें और हमेशा सत्य पर अडिग रहें।
कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर ये पांच मकार याद रखें -
मधुरता - मुस्कुराहट - मोरपंख - मुरली और माखन।
इन पांचों सुंदर प्रतीकों को अपने जीवन में ढालने का प्रयास करते हुए अपने जीवन को आनंदमय बनाने का प्रयत्न करें।
शुभ जन्माष्टमी
" राजन सचदेव "
Very truly explained uncle ji .thank you for beautiful symbolic guidance
ReplyDeleteRajanjee, your explanation of the essence of Janmashtami is awesome! Beautiful!!
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteReally real meaning of celebrating Janashtmi! May we all understand and adopt it in life. Thank you Ji.
ReplyDeleteThank you Mahatma ji - This Comment coming from you means a lot 🙏
DeleteBeautiful 🙏
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