जब भी हम किसी मनचाही चीज़ को पाने के लिए निरंतर भागने लगते हैं -
तो जीवन संकट और चिंता में जलती हुई एक भट्टी सा बन जाता है।
जो हम चाहते हैं - अगर वो सब मिल भी जाए तो क्या जीवन शांत और चिंता मुक्त हो जाएगा?
शायद नहीं।
क्योंकि फिर कोई नई इच्छा पैदा हो जाएगी - पहले से बेहतर और नई चीज़ें पाने की इच्छा।
और हम उनको पाने के लिए फिर भागने लगेंगे।
और इस दुष्चक्र का कभी अंत नहीं होगा।
इसलिए सभी धर्म ग्रंथ एवं शास्त्र हमें इच्छाओं को कम करने की प्रेरणा देते हैं -
कामनाओं पर नियंत्रण और जीवन में सादगी अपनाने की प्रेरणा देते हैं।
कम इच्छाएं और जीवनशैली में कम जटिलता होने का अर्थ है जीवन में कम चिंताएं और दुविधाएं -
- और मन में अधिक शांति।
"राजन सचदेव "