मन की पवित्रता का अर्थ है सादगी - विचारों में सकारात्मकता, एवं ईमानदारी।
मानव मन एक कोरे चित्रपट - एक खाली स्क्रीन की तरह है।
हमारे मन में उठा हुआ हर एक विचार इस कोरी स्क्रीन पर अपनी छाप छोड़ जाता है।
अगर बार बार नकारात्मक किस्म की भावनाएं और विचार उठते रहें तो मन में एक ट्रैक - एक लकीर सी बन जाती है और फिर स्वतः ही सभी विचार उसी ट्रैक में चलते लगते हैं। धीरे धीरे वह धारणा - वह ट्रैक गहरा होता जाता है और अंततः हमारी प्रकृति - हमारे स्वभाव का एक हिस्सा बन जाता है।
जब यह हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाए, तो इसे मिटाना बेहद कठिन हो जाता है।
लेकिन, जिस तरह नकारात्मक विचारों को बार-बार सोचने से यह गहरा ट्रैक बनता है, उसी तरह से हम उसके ऊपर सकारात्मक विचारों की गहरी छाप बनाकर उसे मिटा भी सकते हैं।
इसलिए जब भी कोई नकारात्मक विचार मन में प्रवेश करे, तो उसे सुखद एवं मधुर यादों और सकारात्मक विचारों में बदलने का प्रयास करें। इस तरह मन की स्क्रीन पर एक नई सकारात्मक छाप उभरने लगेगी और धीरे धीरे हमारे सभी विचार इस नए बनाए गए सकारात्मक ट्रैक में स्वतः ही चलने लगेंगे।
बेशक ऐसा करने में कुछ समय और प्रयास तो लगेगा
लेकिन यदि हम चाहें - और दृढ निश्चय के साथ प्रयत्न करें तो ऐसा किया जा सकता है।
' राजन सचदेव '
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