अपने हिस्से की एक शम्मा जला दी होती
(अज्ञात )
अपने आस पास होने वाले ज़ुल्म और अँधेरे को कोसने की बजाय -
अच्छा होता अगर आप अपनी तरफ से - अपने हिस्से का एक छोटा सा दीपक ही जला देते
अपने आस-पास होने वाली हर दुर्घटना - हर बुराई के लिए दूसरों को दोष देना बहुत आसान है।
हम आमतौर पर किसी एक व्यक्ति या किसी एक समुदाय को चुन लेते हैं -
अपने आस पास होने वाले ज़ुल्म और अँधेरे को कोसने की बजाय -
अच्छा होता अगर आप अपनी तरफ से - अपने हिस्से का एक छोटा सा दीपक ही जला देते
अपने आस-पास होने वाली हर दुर्घटना - हर बुराई के लिए दूसरों को दोष देना बहुत आसान है।
हम आमतौर पर किसी एक व्यक्ति या किसी एक समुदाय को चुन लेते हैं -
और जब भी कुछ गलत होता है, तो हम उन्हें दोष देना शुरु कर देते हैं।
और आजकल का सोशल मीडिया - कोई समाधान - कोई हल खोजने में मदद करने की बजाय, उस में और ईंधन डालने का काम कर रहा है - नफरत की आग को और अधिक प्रज्वलित करने - और बढ़ाने में मदद कर रहा है।
चाहे कोई भी धार्मिक, सांस्कृतिक या राजनीतिक समुदाय हो, उसकी असलीयत एवं तथ्यों को खोजना मुश्किल नहीं है
सुनी सुनाई बातों पर भरोसा करने के बजाय निष्पक्ष और प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करके तर्क और सामान्य एवं व्यवहारिक ज्ञान का उपयोग करके सच्चाई को जाना जा सकता है।
हर बात को ठंडे दिल से और जिम्मेदारी से सोचना चाहिए और समस्या का नहीं - बल्कि समाधान का हिस्सा बनने का प्रयास करना चाहिए।
अगर और कुछ नहीं - तो कम से कम गलत जानकारी फैलाकर - नफरत की आग में और ज्यादा ईंधन डाल कर इसे बढ़ावा देने में तो मदद न करें ।
' राजन सचदेव '
Loved it
ReplyDeleteWonderful uncle ji
ReplyDeleteBAHUT HI SUNDER CHETNTA HAI JI APJI K BYAN MEIN ..AKSR HO ESA HI RAHA H AJ K DAUR MEIN SANT JI
ReplyDeleteVery good thought. But to me it appears that definition of truth and false is being changed for last few years. Even
ReplyDeleteinjustice is being glorified. What can you do now?