जिस में कोई कमी नहीं है ?
हर बशर में होती है
कोई न कोई ख़ामी - कोई कमज़ोरी
किसी में ज़्यादा - किसी में थोड़ी
छोटी सी भूल - या कोई संजीदा
कहीं पे ज़ाहिर - कहीं पोशीदा
जहाँ में ऐसा कौन बशर है
जिस में कोई कमी नहीं है
जो लगता है पाक पवित्र -
बस उसमें अभी - दिखी नहीं है
कभी कुछ हसरतें -
बातों बातों में हो जाती हैं बयां
या कभी किरदार में कुछ हो जाती हैं अयां
और कुछ रह जाती हैं
दबी दबी सी - ज़हन में ही पिन्हां
सब की ज़िंदगी में कुछ वाक़यात
हर इक के ज़हन में कुछ तसव्वुरात
ऐसे होते हैं -
जिस पर किसी न किसी को तो ऐतराज़ होगा
कोई नुक्ताचीं होगा - कोई नाराज़ होगा
कुछ ऐसी बातें - कोई ऐसी हरकत
जिसे हम समझते हैं वाजिब नहीं है
नाक़िद निगाहों से देखें अगर
तो दुनिया में कोई भी सादिक़ नहीं है
हक़ीक़त तो ये है कि
जिस से मोहब्बत हो -
उसकी हर कमज़ोरी हो जाती है नज़रअंदाज़
और जो किसी वजह से अच्छा न लगे
उसकी हर बात पे होता है - ऐतराज़
अक्सर हम ये कहते हैं
कि कौन - कहां, कब, क्या करता है -
ये रब जानता है -
क्यों करता है ?
किस इच्छा से - किस लालच से ?
वो सब जानता है
मगर वो जानते हुए भी चुप रहता है
अच्छे बुरे हर इक काम को
नेकी बदी के हर ख़्याल को
छुपी या ज़ाहिर - हर इक बात को
हर बंदे की हर हरक़त को
हर इक रग को -
वो पहचानता है -
किस के दिल में क्या छुपा है -
वो सब जानता है
मगर जान कर भी चुप रहता है
कुछ नहीं कहता
ज़रा सोचें --
कि अगर वो चुप है
तो हम क्यों बोलते हैं ?
क्यों अपने तराज़ू में
सब को तोलते हैं ?
अगर तुम्हें भी रब से प्यार है
अगर उसका रहम-ओ-करम दरकार है
तो जब भी किसी में कोई ख़ामी नज़र आए
तो रब की तरह ही
चुप रहना - कुछ न कहना
सहनशीलता और विशालता
यही तो सब ग्रंथों का सार है
सब का 'राजन ' यही है कहना
चुप ही रहना - कुछ न कहना
कुछ न कहना - चुप ही रहना
' राजन सचदेव '
जो लगता है पाक पवित्र -
बस उसमें अभी - दिखी नहीं है
कभी कुछ हसरतें -
बातों बातों में हो जाती हैं बयां
या कभी किरदार में कुछ हो जाती हैं अयां
और कुछ रह जाती हैं
दबी दबी सी - ज़हन में ही पिन्हां
सब की ज़िंदगी में कुछ वाक़यात
हर इक के ज़हन में कुछ तसव्वुरात
ऐसे होते हैं -
जिस पर किसी न किसी को तो ऐतराज़ होगा
कोई नुक्ताचीं होगा - कोई नाराज़ होगा
कुछ ऐसी बातें - कोई ऐसी हरकत
जिसे हम समझते हैं वाजिब नहीं है
नाक़िद निगाहों से देखें अगर
तो दुनिया में कोई भी सादिक़ नहीं है
हक़ीक़त तो ये है कि
जिस से मोहब्बत हो -
उसकी हर कमज़ोरी हो जाती है नज़रअंदाज़
और जो किसी वजह से अच्छा न लगे
उसकी हर बात पे होता है - ऐतराज़
अक्सर हम ये कहते हैं
कि कौन - कहां, कब, क्या करता है -
ये रब जानता है -
क्यों करता है ?
किस इच्छा से - किस लालच से ?
वो सब जानता है
मगर वो जानते हुए भी चुप रहता है
अच्छे बुरे हर इक काम को
नेकी बदी के हर ख़्याल को
छुपी या ज़ाहिर - हर इक बात को
हर बंदे की हर हरक़त को
हर इक रग को -
वो पहचानता है -
किस के दिल में क्या छुपा है -
वो सब जानता है
मगर जान कर भी चुप रहता है
कुछ नहीं कहता
ज़रा सोचें --
कि अगर वो चुप है
तो हम क्यों बोलते हैं ?
क्यों अपने तराज़ू में
सब को तोलते हैं ?
अगर तुम्हें भी रब से प्यार है
अगर उसका रहम-ओ-करम दरकार है
तो जब भी किसी में कोई ख़ामी नज़र आए
तो रब की तरह ही
चुप रहना - कुछ न कहना
सहनशीलता और विशालता
यही तो सब ग्रंथों का सार है
सब का 'राजन ' यही है कहना
चुप ही रहना - कुछ न कहना
कुछ न कहना - चुप ही रहना
' राजन सचदेव '
पोशीदा = छुपी हुई Hidden
अयां = प्रकट, ज़ाहिर,व्यक्त हो जाना Revealed, Open, Clear, Expressed
पिन्हां = छुपी हुई Hidden - Concealed
तसव्वुरात = विचार , ख़्याल, तसव्वुर का बहु वचन, Thoughts
नुक्ताचीं = आलोचक -आलोचना और एतराज़ करने वाला Critic, Caviller, hypercritical
वाजिब = सही, ठीक, Appropriate
नाक़िद = विश्लेषण ,विश्लेषणात्मक Critical, Analytical, fault finder आलोचना और परखने की दृष्टि से
सादिक़ = सच्चा, पवित्र, पाक-साफ़ , Pure, Honest, Sincere
दरकार = वांछित , अभिलाषित , Desired, Required, Wanted
Beautiful poem with a worthy meaning 🙏
ReplyDeleteV v nice mahatma ji
ReplyDeleteExcellent creation.��
ReplyDelete��������
ReplyDelete👍👍very nice 👌🙏🙏
ReplyDeleteBeautiful words ��
ReplyDeleteWonderful and highly motivational poem!
ReplyDeleteReal truth! ����
Bahut Khoob ji!
ReplyDelete��
Wonderful ��❤️
ReplyDeleteवाह वाह समुंदर को कुज़े में बंद कर दिया ये फ़न हर एक को नहीं अता होता
ReplyDeleteअल्लाह और दरवाज़े खोले
ये ऊपर वाले की तरफ से आमद होती है
Beautiful beautiful ❤️
ReplyDeleteBeautiful Poetry with Beautiful message. Learned few new word as a bonus🙏
ReplyDelete