इस से कोई वास्तविक लाभ नहीं होता।
बल्कि इस से रिश्तों एवं संबंधों में एक बाधा - एक दीवार खड़ी हो जाती है - दूरी पैदा हो जाती है।
इसलिए, बुद्धिमता इसी में है कि अपनी बात को सबूत के साथ पेश किया जाए -
इसलिए, बुद्धिमता इसी में है कि अपनी बात को सबूत के साथ पेश किया जाए -
अपनी बात के समर्थन में प्रमाणिक तथ्य पेश किए जाएं।
यदि दूसरे व्यक्ति को आपकी बात स्वीकार्य न हो तो उसे छोड़ दिया जाए।
यदि आप सही हैं, तो किसी न किसी रुप में, किसी न किसी समय - वे अपने आप ही उस सच्चाई को समझ जाएंगे।
और अगर आप गलत हैं, तो किसी न किसी समय - आपको भी यह एहसास हो जाएगा कि अपनी बात पर अड़े रहने - बहस तथा झगड़े के कारण रिश्तों को खराब कर लेना - दोस्तों मित्रों को खो देना कोई बहुत अक़्लमंदी की बात नहीं है।
' राजन सचदेव '
Really such a beautiful explainatio n
ReplyDeleteकहना तो आपका बिल्कुल सही है पर लोगों मे इतना बर्दाश्त करने का माद्दा कहां है।
ReplyDeleteTrue uncle ji
ReplyDeleteTrue uncle ji
ReplyDelete