Monday, October 8, 2018

ज़माने को क्या हो गया है? Zamaanay ko kya ho gaya hai?

न जाने  ज़माने को क्या हो गया है 
मोहब्बत का जज़्बा कहाँ खो गया है  

दावा जो करता था अपनी वफ़ा का 
वही  शख़्स अब  बेवफ़ा  हो गया है 

कल था महकता यहाँ इक गुलिस्तां 
क्यों आज यूं  बियाबाँ हो गया है 

है कोई मसीहा जो आ कर जगाए  
ज़मीर आदमी का कहीं सो गया है  

न पूछो गया है कहाँ जाने वाला 
था आया जहां से वहीं तो गया है  

इक अश्के -नदामत गिरा ऐसा 'राजन '
कि सारे गुनाह क़ल्ब  के  धो  गया  है 

               "राजन सचदेव "

अश्के -नदामत       ----  पश्चाताप  के आंसू 
क़ल्ब                 -------   दिल, हस्ती, रूह , ज़मीर 


Na jaanay zamaanay ko kya ho gaya hai 
Mohabbat ka jazbaa kahaan kho gaya hai 

Daava jo kartaa thaa apnee wafaa kaa 
Vahee shakhs ab be-wafaa ho gaya hai 

Kal tha mehakataa yahaan ik gulistaan 
Kyon aaj yoon biyaabaan ho gaya hai 

Hai koyi maseehaa jo aa kar jagaaye 
Zameer aadmee ka kaheen so gaya hai 

Na poochho gayaa hai kahaan jaanay waala 
Tha aaya jahaan say vaheen to gaya hai 

Ik ashqe-nadaamat giraa aisaa 'Rajan'
Ki saaray gunaah qalb kay dho gaya hai
                             "Rajan Sachdeva"

Biyaabaan         -------------  Deserted 
Zameer               -------------  Consciousness 
Ashqe-nadaamat  ----------  Tears of regret 
Qalb        ---------------------  Heart, Mind, Consciousness 

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