Monday, October 1, 2018

दीया और अँधेरा

अंधेरे में कभी हम दीया हाथ में लेकर चलते हैं तो हमें यह भ्रम हो जाता है
कि हम दीये को लेकर चल रहे हैं और रास्ते का अँधेरा मिटाते जा रहे हैं ।
जबकि सच्चाई एकदम इस से विपरीत है -
असल में तो दीया हमें लेकर चल रहा होता है। 

ऐसे ही, कभी कभी हमारे मन में इस प्रकार के विचार आने लगते हैं
कि हम ज्ञानी हैं और सत्य के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं - आगे बढ़ रहे हैं -
तथा औरों को भी मार्ग दिखा रहे हैं ।

लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि ज्ञान हमें सत्य के मार्ग पर लेकर चलता है। 

हम ज्ञानी हैं - ये मिथ्या अभिमान है। 
ज्ञान - अभिमान का नहीं - प्रेरणा का स्तोत्र होना चाहिए।
ज्ञान हमारे जीवन का आधार बने - हम ज्ञान पर आधारित जीवन जीएँ -
इस प्रकार की सोच एवं भावना प्रेरणास्पद है। 

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega