अंधेरे में कभी हम दीया हाथ में लेकर चलते हैं तो हमें यह भ्रम हो जाता है
कि हम दीये को लेकर चल रहे हैं और रास्ते का अँधेरा मिटाते जा रहे हैं ।
जबकि सच्चाई एकदम इस से विपरीत है -
असल में तो दीया हमें लेकर चल रहा होता है।
ऐसे ही, कभी कभी हमारे मन में इस प्रकार के विचार आने लगते हैं
कि हम ज्ञानी हैं और सत्य के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं - आगे बढ़ रहे हैं -
कि हम दीये को लेकर चल रहे हैं और रास्ते का अँधेरा मिटाते जा रहे हैं ।
जबकि सच्चाई एकदम इस से विपरीत है -
असल में तो दीया हमें लेकर चल रहा होता है।
ऐसे ही, कभी कभी हमारे मन में इस प्रकार के विचार आने लगते हैं
कि हम ज्ञानी हैं और सत्य के मार्ग पर अग्रसर हो रहे हैं - आगे बढ़ रहे हैं -
तथा औरों को भी मार्ग दिखा रहे हैं ।
लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि ज्ञान हमें सत्य के मार्ग पर लेकर चलता है।
हम ज्ञानी हैं - ये मिथ्या अभिमान है।
लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि ज्ञान हमें सत्य के मार्ग पर लेकर चलता है।
हम ज्ञानी हैं - ये मिथ्या अभिमान है।
ज्ञान - अभिमान का नहीं - प्रेरणा का स्तोत्र होना चाहिए।
ज्ञान हमारे जीवन का आधार बने - हम ज्ञान पर आधारित जीवन जीएँ -
इस प्रकार की सोच एवं भावना प्रेरणास्पद है।
ज्ञान हमारे जीवन का आधार बने - हम ज्ञान पर आधारित जीवन जीएँ -
इस प्रकार की सोच एवं भावना प्रेरणास्पद है।
Bahut khoob
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