न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने - न होता मैं तो क्या होता
मिर्ज़ा ग़ालिब
भावार्थ
जब कुछ नहीं था - ना आकाश, ना पृथ्वी, न ब्रह्मांड, न समय
तब केवल वही था। ईश्वर, ख़ुदा, भगवान।
और जब कुछ भी नहीं बचेगा —
न नाम, न रुप, न यह सृष्टि — न यह जीवन, न संसार —
तब भी केवल वही रहेगा — सिर्फ़ ख़ुदा, अथवा ईश्वर
— केवल एकमात्र सत्य, एकमात्र अस्तित्व ही रहेगा।
सनातन हिंदू शास्त्रों में इसे शून्य या खलु कहा गया है —
सर्वं खलु इदं ब्रह्म (छान्दोग्य उपनिषद)
खलु - जो रुप-रंग से परे है - कुछ भी नहीं - लेकिन सब ओर फैला हुआ है
— जहां केवल मौन एवं शांति है।
खलु का ही फ़ारसी पर्याय है ख़ाली अर्थात फ़ारसी में इसी को ख़ाली अथवा कुछ नहीं कहते हैं ।
ये केवल हमारा अहम -अर्थात हमारे होने का एहसास ही है जो हमें भ्र्म और दुःख में डुबोए रखता है।
" हम तो पूर्ण ब्रह्म थे जो मैं न होती बीच "
" राजन सचदेव "
Bahut Sundar and true Jì.🙏
ReplyDeleteमिर्ज़ा ग़ालिब के शेर की व्याख्या बहुत सरल और सहज शब्दों में आपने की है। शुक्रिया राजन जी🙏🙏🌹
ReplyDeleteयही सार तत्व है। बस निर्विचार होकर ही इस समग्र स्थितप्रज्ञता में आनंदोत्सव मना सकती है जीवात्मा।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जी
Bharpur khalaawaan ander dekho
ReplyDeletePasree baitha-e jo daaataar🙏🙏
Yeh Zameen Jab Na Thi Yeh Jahaan Jab Na Thaa
ReplyDeleteChaand Suraj Na Thay Aasman Jab Na Tha
Raaz-E-Haq Bhi Kisi Per Ayaan Jab Na Tha
Tab Na Tha Kuch Yahaan Tha Magar Tu Hee Tu
Allah Huu! Allah Huu! Allah Huu!
Allah Huu! Allah Huu! Allah Huu!
यह खाली और खलु का एहसास मन, बुद्धी और अकल में बना रहे जी। 🌹🙏🌹🙏
ReplyDelete🙏🙏🌹💕
ReplyDelete👌❤️🙏🙏
ReplyDeleteमेरे दायें खुदा है, मेरे बाएं खुदा है,
ReplyDeleteमेरे आगे खुदा है, मेरे पीछे खुदा है,
और जहाँ मैं खड़ा हूँ वहाँ कल खुदने वाला है…….
As our Upanishad’s also point out “ Tat Tvam Asi (तत् त्वम् असि)” You are That
ReplyDeleteSpirituality is not about becoming something that I already am - but unbecoming something ( body, mind and apparent I) which I am not.
It’s not that I was but I am. It’s just that I am mistaking myself to be something else