ख़रीदने को जिसे कम थी दौलत-ए-दुनिया
किसी कबीर की मुट्ठी में वो रतन देखा
बड़ा न छोटा कोई फ़र्क़ बस नज़र का है
सभी पे चलते समय एक सा कफ़न देखा
~ पद्मभूषण डॉ. गोपालदास 'नीरज' ~
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कौन सी रात आख़िरी होगी ? Which Night will be the Last one?
न जाने कौन सी बात आख़िरी होगी न जाने कौन सी रात आख़िरी होगी मिलते जुलते बात करते रहा करो यारो न जाने कौन सी मुलाक़ात आख़िरी होगी ...
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Kaise bataoon main tumhe Mere liye tum kaun ho Kaise bataoon main tumhe Tum dhadkanon ka geet ho Jeevan ka tum sangeet ho Tum zindagi...
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बाख़ुदा -अब तो मुझे कोई तमन्ना ही नहीं फिर ये क्या बात है कि दिल कहीं लगता ही नहीं सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आए आँसू दिल का आलम तो अ...
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ReplyDeleteVery nice 👍
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