कांच के टुकड़ों को फिर जुड़ते नहीं देखा
मुरझाए फूलों को फिर खिलते नहीं देखा
जो चला जाता है इस दुनिया को छोड़ कर
फिर उसे वापिस कभी मुड़ते नहीं देखा
टूट जाता है अगर डाली से कोई फूल
फिर उसे उस शाख पे लगते नहीं देखा
जिस्म के ज़ख़्मों को भरते देखा है लेकिन
दिल के ज़ख़्मों को कभी भरते नहीं देखा
दुःख बिछड़ने का सभी को होता है लेकिन
काम दुनिया का कोई रुकते नहीं देखा
इक मुसाफ़िर के लिए 'राजन कभी हमने
क़ाफ़िले को राह में रुकते नहीं देखा
" राजन सचदेव "
How true. What a reality check? Thanks for reminding us. 🙏🙏
ReplyDeleteVery nice. Vipan
Deletemazaaa aagyaaa jiii
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteRealities of life and Nature!🙏❤️🙂
ReplyDeleteAnil Gambhir
So true
ReplyDeleteLife is a journey to come to an end, sooner or later, no body knows! So. Live life to the fullest.
ReplyDeleteBeautiful lines dhan nirankar ji
ReplyDeleteTrue and Beautiful thoughts
ReplyDeleteBeautiful
ReplyDeleteदुःख बिछड़ने का सभी को होता है लेकिन
ReplyDeleteकाम दुनिया का कभी रुकते नहीं देखा .yeh hai sachhai,🌹🙏🌹🙏
Very Nice mahatma ji
ReplyDeleteNirankar ki apar kripa hai aap par 🙏
i cried a little. nnot going to lie
ReplyDelete🙏🙏
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