Wednesday, August 2, 2023

जो चला जाता है इस दुनिया को छोड़ कर

कांच के टुकड़ों को फिर जुड़ते नहीं देखा 
मुरझाए फूलों को फिर खिलते नहीं देखा 

जो चला जाता है इस दुनिया को छोड़ कर 
फिर उसे वापिस कभी मुड़ते नहीं देखा 

टूट जाता है अगर डाली से कोई फूल 
फिर उसे उस शाख पे लगते नहीं देखा 

जिस्म के ज़ख़्मों को भरते देखा है लेकिन 
दिल के ज़ख़्मों को कभी भरते नहीं देखा 

दुःख बिछड़ने का सभी को होता है लेकिन 
काम दुनिया का कोई रुकते नहीं देखा  

इक मुसाफ़िर के लिए 'राजन कभी हमने 
क़ाफ़िले को राह में रुकते नहीं देखा   
                     " राजन सचदेव " 

14 comments:

  1. How true. What a reality check? Thanks for reminding us. 🙏🙏

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  2. mazaaa aagyaaa jiii

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  3. Realities of life and Nature!🙏❤️🙂
    Anil Gambhir

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  4. Life is a journey to come to an end, sooner or later, no body knows! So. Live life to the fullest.

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  5. Beautiful lines dhan nirankar ji

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  6. True and Beautiful thoughts

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  7. दुःख बिछड़ने का सभी को होता है लेकिन
    काम दुनिया का कभी रुकते नहीं देखा .yeh hai sachhai,🌹🙏🌹🙏

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  8. Very Nice mahatma ji
    Nirankar ki apar kripa hai aap par 🙏

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  9. i cried a little. nnot going to lie

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