Sunday, January 5, 2020

एक नज़्म - हर तरफ बर्फ की चादर बिछी है

सुबह खिड़की से झाँक कर देखा -
कि हर तरफ बर्फ की चादर बिछी है
सामने घरों की छतें, दरख़्त और सड़कें
                                           सब पर सफेदी छाई है
पिछवाड़े की झील भी जम गई है
आज कोई मुर्ग़ाबी - कोई बत्तख भी नज़र नहीं आई है

सर्दियों का ये उदास सा मौसम -
ख़ामोश हैं घर, दरीचे और गलियां 

                  ठिठुरते जिस्म भी कमज़र्फ़ हो गए हैं
दोस्तों में भी अब वो गर्मी नहीं है 

            लगता है रिश्ते भी जम कर बर्फ हो गए हैं
स्वभाव में तल्ख़ी - बोली में रुखा पन
                    तीखे तीखे से सबके हरफ़ हो गए हैं

न जाने ज़माने को क्या हो गया है
              लगता है कोई भी अपना नहीं है
लगते हैं सब अजनबी से - बेगाने
     अब मिलना वो पहले सा मिलना नहीं है 


मिला कोई झूठा - 
कोई साथी छूटा
कोई दोस्त रुठा  - कोई रिश्ता टूटा 
                  ये किस्से ही आज हर तरफ हो गए हैं

अच्छा है न रखें उम्मीद किसी से
कहीं आशा निराशा में बदल न जाए
कोई जितना करे - उतना ही शुकर है
कुछ और पाने को मन मचल न जाए
            'ये करो मेरी ख़ातिर' - अब कहना नहीं है
न शिकवे शिकायत,न मिन्नत ख़ुशामद
                    जज़्बात की धारा में बहना नहीं है 

जिस जगह न हो इज़्ज़त, क़दर न हो कोई 
                    उस जगह पे बहुत देर रहना नहीं है
                                       -    -   -
मगर फिर ये ख़्याल आता है
            कि हो सकता है कल धूप निकल आए  

                                  और ये बर्फ पिघल जाए
                   शायद कल ज़माने का रंग ढंग भी बदल जाए
वो पुरानी तहजीब, वो सलाहियत
वो सभी से मिलने मिलाने की नीयत
वो रिश्तों में क़ुरबत - दोस्तों में मोहब्बत
अदब गुफ़्तगू में - दिलों में मुरव्वत
वो लहजे में नरमी - हर इक से रफ़ाक़त
वो रग़बत, वो उल्फ़त, ख़ुलूस-ओ-शराफ़त
दोस्तों -अज़ीज़ों के दुःख सुख में शिरकत
जवानों के दिल में बुज़ुर्गों की इज़्ज़त 


          ये भूली बिसरी बातें अगर लौटआएं 

          ये सलीक़े पुराने अगर फिर से आएं 
                         शफ़क़त का सूरज अगर निकल आए
तो उस की गरमाहट से मुमकिन है 'राजन '
              कि दिलों में जमी कुदूरत की बर्फ पिघल जाए 

                                        ' राजन सचदेव ' 


दरीचे                             खिड़कियां
कम-ज़र्फ़                       कमज़ोर
तहजीब                          सभ्यता
सलाहियत                      खूबी, अच्छाई, सदाचार योग्यता, पारसाई, गंभीरता
क़ुरबत                            क़रीबी, सानिध्य , नज़दीकत
मुरव्वत                           शील शिष्टाचार - दिल में दूसरों के लिए जगह होना
रफ़ाक़त                          दोस्ती मित्रता
रग़बत                             रुचि, अभिरुचि, दिलचस्पी
ख़ुलूस                             पवित्रता निष्कपटता, निश्छलता, सच्चाई
शिरकत                          सहयोग, 
सम्मिलन, सम्मिलित होना, सांझीदारी,भागीदारी
शफ़क़त                          दया,   कृपादृष्टि, सहानुभूति
कुदूरत                            संकीर्णता, मन की मलिनता

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