हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखला सजी धजी है
चहुंओर श्वेत सी प्रकृति निस्तब्ध खड़ी है
नन्हें नन्हें श्वेत गोलों की लगी झड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
लोगबाग कंबल के नीचे बदन छिपाते होंगे
सिमटे-सिकुड़े नौकर-चाकर चाय बनाते होंगे
कहते होंगे लोग - आज तो ठण्ड कड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
डल झील का पानी भी तो जम गया होगा
पर्यटकों का आना जाना थम गया होगा
लाल चौक में भी न कोई भीड़ खड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
निशात - शालीमार बर्फ से ढ़क गए होंगे
चश्मे शाही के चश्मे भी जम गए होंगे
धरती लगती होगी जैसे रजत जड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
क़ुदरत ने हुसनो-नाज़ से जिसको नवाज़ा है
उस सरज़मीं की याद दिल में आज भी ताज़ा है
भूले बिसरे ख़्वाबों की भी लगी झड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है..!!
ऋषियों मुनियों की घाटी क्योंकर उजड़ी है
बर-रु-ए-ज़मीं फ़िरदौस *की सूरत क्यों बिगड़ी है
क्यों मज़हब -मिल्लत की वहां दीवार खड़ी है
जन्नत जैसी घाटी क्यों सुनसान पड़ी है
रब ने तो सब बंदों को यकसां बनाया था
सांझी धरती - सांझा आसमां बनाया था
वलियों पीरों ने प्रेम का पाठ पढ़ाया था
आपस में मिलजुल के रहना ही सिखाया था
न हिन्दू बड़ा है - न मुसलमान बड़ा है
इन्सानियत का धर्म ही दुनिया में बड़ा है
जंगो -जहद से ज़मीं पे कुछ न बचेगा
चैन-अमन से रहने में ही सब का भला है
नफ़रतों से 'राजन कुछ भी फ़ायदा नहीं
बंदों से वैर - बंदगी का क़ायदा नहीं
प्यार की आतिश जलाओ - ठंड कड़ी है
वादियों को फिर संवारने के घड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
चहुंओर श्वेत सी प्रकृति निस्तब्ध खड़ी है
नन्हें नन्हें श्वेत गोलों की लगी झड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
लोगबाग कंबल के नीचे बदन छिपाते होंगे
सिमटे-सिकुड़े नौकर-चाकर चाय बनाते होंगे
कहते होंगे लोग - आज तो ठण्ड कड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
डल झील का पानी भी तो जम गया होगा
पर्यटकों का आना जाना थम गया होगा
लाल चौक में भी न कोई भीड़ खड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
निशात - शालीमार बर्फ से ढ़क गए होंगे
चश्मे शाही के चश्मे भी जम गए होंगे
धरती लगती होगी जैसे रजत जड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
क़ुदरत ने हुसनो-नाज़ से जिसको नवाज़ा है
उस सरज़मीं की याद दिल में आज भी ताज़ा है
भूले बिसरे ख़्वाबों की भी लगी झड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है..!!
ऋषियों मुनियों की घाटी क्योंकर उजड़ी है
बर-रु-ए-ज़मीं फ़िरदौस *की सूरत क्यों बिगड़ी है
क्यों मज़हब -मिल्लत की वहां दीवार खड़ी है
जन्नत जैसी घाटी क्यों सुनसान पड़ी है
रब ने तो सब बंदों को यकसां बनाया था
सांझी धरती - सांझा आसमां बनाया था
वलियों पीरों ने प्रेम का पाठ पढ़ाया था
आपस में मिलजुल के रहना ही सिखाया था
न हिन्दू बड़ा है - न मुसलमान बड़ा है
इन्सानियत का धर्म ही दुनिया में बड़ा है
जंगो -जहद से ज़मीं पे कुछ न बचेगा
चैन-अमन से रहने में ही सब का भला है
नफ़रतों से 'राजन कुछ भी फ़ायदा नहीं
बंदों से वैर - बंदगी का क़ायदा नहीं
प्यार की आतिश जलाओ - ठंड कड़ी है
वादियों को फिर संवारने के घड़ी है
सुना है आज काश्मीर में बरफ़ पड़ी है !!
" राजन सचदेव "
नोट :
*काश्मीर के बारे में फ़ारसी में एक कहावत है कि
चो बर रु -ए -ज़मीं फ़िरदौस अस्त
हमी अस्त - हमी अस्त - हमी अस्त
अर्थात :
अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो
यही है -यही है - यही है
नोट :
*काश्मीर के बारे में फ़ारसी में एक कहावत है कि
चो बर रु -ए -ज़मीं फ़िरदौस अस्त
हमी अस्त - हमी अस्त - हमी अस्त
अर्थात :
अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो
यही है -यही है - यही है
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ReplyDeleteSomehow it got deleted before I eve read it
DeletePlease post again
No problem at all. I appreciate the masterpiece you've penned down. Loved it!
DeleteWah
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