अक़्सर यह कहा जाता है कि इतिहास हमेशा अपने आप को दोहराता है।
क्या इसका मतलब यह है कि जो कुछ भी अतीत में हुआ था - कुछ साल, कुछ सौ, या कुछ हजार साल पहले हुआ था - वह उसी क्रम में फिर से होगा?
नहीं।
इसका अर्थ केवल इतना है कि अगर हम फिर वही ग़लतियाँ करते रहें जो हमने , या हमारे पूर्वजों ने पहले की थीं, तो इतिहास भी पहले की तरह ही स्वयं को दोहराता रहेगा।
आइंस्टीन ने भी कहा था कि किसी भी काम को एक ही तरीके से बार-बार करते रहना लेकिन हर बार अलग अलग परिणामों की उम्मीद करना, महज पागलपन है।
इतिहास का अध्ययन और विश्लेषण केवल पढ़ने के लिए नहीं बल्कि इससे सीखने के लिए किया जाना चाहिए।
हम अतीत से बहुत कुछ सीख सकते हैं -
यदि पुराने तौर तरीके बदल लिए जाएं , तो उनसे होने वाले परिणामों को भी बदला जा सकता है।
लेकिन अगर हम अतीत में की गई गलतियों से नहीं सीखते और फिर से वही गलतियाँ करते रहते हैं, तो इतिहास भी स्वयं को उसी तरह दोहराता रहेगा।
हम एक बहती नदी में एक ही पानी में दो बार कदम नहीं रख सकते।
जो समय बीत चुका है उसे वापिस नहीं लाया जा सकता -
अतीत में हुई घटनाएं बदली नहीं जा सकतीं -
न ही हम उस बीते हुए समय में वापस जा कर पिछले इतिहास को बदल सकते हैं।
लेकिन वर्तमान में सही ढंग अपना लेने से भविष्य को बदला जा सकता है।
अपने गौरवशाली अतीत के बारे में केवल बातें करते रहने से तो कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है।
पहले हो चुके महान व्यक्तियों एवं नायकों के जीवन से प्रेरणा ली जा सकती है, और ली जानी चाहिए -
लेकिन केवल उनकी महिमा का बखान करते रहने से वर्तमान या भविष्य को नहीं बदला जा सकता।
हम इतिहास का अध्ययन और विश्लेषण करके बहुत सी बातें सीख सकते हैं।
अगर हम पिछली पीढ़ियों द्वारा की गई गलतियों को न दोहराएं और उनके द्वारा किए गए अच्छे कामों की नकल करें -
तो हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।
लेकिन स्पष्ट है कि ऐसा करने के लिए दूरदर्शिता और समय के साथ बदलने की आवश्यकता है।
' राजन सचदेव '
क्या इसका मतलब यह है कि जो कुछ भी अतीत में हुआ था - कुछ साल, कुछ सौ, या कुछ हजार साल पहले हुआ था - वह उसी क्रम में फिर से होगा?
नहीं।
इसका अर्थ केवल इतना है कि अगर हम फिर वही ग़लतियाँ करते रहें जो हमने , या हमारे पूर्वजों ने पहले की थीं, तो इतिहास भी पहले की तरह ही स्वयं को दोहराता रहेगा।
आइंस्टीन ने भी कहा था कि किसी भी काम को एक ही तरीके से बार-बार करते रहना लेकिन हर बार अलग अलग परिणामों की उम्मीद करना, महज पागलपन है।
इतिहास का अध्ययन और विश्लेषण केवल पढ़ने के लिए नहीं बल्कि इससे सीखने के लिए किया जाना चाहिए।
हम अतीत से बहुत कुछ सीख सकते हैं -
यदि पुराने तौर तरीके बदल लिए जाएं , तो उनसे होने वाले परिणामों को भी बदला जा सकता है।
लेकिन अगर हम अतीत में की गई गलतियों से नहीं सीखते और फिर से वही गलतियाँ करते रहते हैं, तो इतिहास भी स्वयं को उसी तरह दोहराता रहेगा।
हम एक बहती नदी में एक ही पानी में दो बार कदम नहीं रख सकते।
जो समय बीत चुका है उसे वापिस नहीं लाया जा सकता -
अतीत में हुई घटनाएं बदली नहीं जा सकतीं -
न ही हम उस बीते हुए समय में वापस जा कर पिछले इतिहास को बदल सकते हैं।
लेकिन वर्तमान में सही ढंग अपना लेने से भविष्य को बदला जा सकता है।
अपने गौरवशाली अतीत के बारे में केवल बातें करते रहने से तो कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता है।
पहले हो चुके महान व्यक्तियों एवं नायकों के जीवन से प्रेरणा ली जा सकती है, और ली जानी चाहिए -
लेकिन केवल उनकी महिमा का बखान करते रहने से वर्तमान या भविष्य को नहीं बदला जा सकता।
हम इतिहास का अध्ययन और विश्लेषण करके बहुत सी बातें सीख सकते हैं।
अगर हम पिछली पीढ़ियों द्वारा की गई गलतियों को न दोहराएं और उनके द्वारा किए गए अच्छे कामों की नकल करें -
तो हम अपने भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।
लेकिन स्पष्ट है कि ऐसा करने के लिए दूरदर्शिता और समय के साथ बदलने की आवश्यकता है।
' राजन सचदेव '
Very nice
ReplyDeleteAchha hai
ReplyDeleteGood
ReplyDelete