ग़लती, गुस्सा, लालच, हठ, अभिमान,
निंदा और अपमान इत्यादि ख़ुर्राटों की तरह होते हैं।
ख़ुद करें तो पता भी नहीं चलता
मगर कोई और करे तो बहुत बुरा लगता है।
हम परेशान हो जाते हैं - उन पर क्रोध आने लगता है।
लेकिन ये तभी होता है जब कोई दूसरा करे -
स्वयं करें तो सब ठीक लगता है।
"राजन सचदेव "
Right ji mahapurso ji but aeysa nahi karna chiyea🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteWhat a corelation...Absolutely perfect
ReplyDeleteAshok Chaudhary
Satbachan ji
ReplyDeleteSo true!!
ReplyDelete👌
ReplyDeleteITS CORRECT DHAN NIRANKAR JI
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