बात कम कीजे - ज़ेहानत को छुपाते रहिए
ये अजनबी शहर है कुछ दोस्त बनाते रहिए
दुश्मनी लाख सही - ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले - हाथ मिलाते रहिए
" निदा फ़ाज़ली "
ज़ेहानत = सोच, विचार, भावनाएं
कम बोलिये -- अपने विचारों को छुपाए रखिए - अर्थात अपने तक ही सीमित रखिए
विचित्र है ये संसार - इसलिए सब से दोस्ती बना कर रखने में ही फायदा है।
अगर आप किसी के प्रति उदासीनता या किसी कारणवश अपने मन में उनके लिए कुछ दुश्मनी भी महसूस करें तो भी उनसे रिश्ता ख़त्म न करें।
भले ही आपके दिल एक दूसरे से मिलें या न मिलें -
भले ही अब आपको उनके प्रति कोई प्रेम और स्नेह महसूस न हो -
लेकिन फिर भी उनसे हाथ तो मिलाते ही रहिए।
अर्थात उन्हें अपने जीवन से पूरी तरह और हमेशा के लिए अलग न कीजिए।
संत तुलसीदास जी ने भी कुछ ऐसा ही कहा था : --
"तुलसी इस संसार में सब से मिलियो धाए
न जाने किस भेस में नारायण मिल जाए "
" राजन सचदेव "
Beautiful
ReplyDelete🙏🙏🙏
ReplyDeleteBilkul sahi farmya huzoor
ReplyDeleteIt’s very easy and true, and it’s always beneficial. Thanks Jì Maharaj.🙏🌹
ReplyDelete🙏🙏
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