Thursday, March 28, 2024

किसी की क़ब्र पर क़व्वालियों से कुछ नहीं होगा

न हों पैसे तो इस्तक़बालियों से कुछ नहीं होगा *
किसी शायर का ख़ाली तालियों से कुछ नहीं होगा 

निकल आई है उन के पेट से पथरी शुगर-कोटिड 
जो कहते थे कि मीठी छालियों से कुछ नहीं होगा  

मज़ा जब है कि ज़िन्दों को सुनाओ नग़्मा-ए-उल्फ़त 
किसी की क़ब्र पर क़व्वालियों से कुछ नहीं होगा 
                                 " ख़ालिद इरफ़ान "

इस्तक़बाल करना   = स्वागत करना 
* सिर्फ़ स्वागत करने - तालियां बजाने और हार पहना देने से तो कुछ नहीं होगा अगर किसी वक्ता एवं शायर को पैसे एवं पारितोषिक इत्यादि न दिया जाए। 

शुगर-कोटिड     =  Sugar-coated 
छालियों             =  मकई के भुट्टे - मक्की की छलियाँ 
ज़िन्दों को          =  ज़िंदा - जीवित लोगों को 
नग़्मा-ए-उल्फ़त  = प्यार, मोहब्बत, श्रद्धा के गीत 

3 comments:

  1. अच्छी ग़ज़ल है मगर अधूरी है
    कृपया पूरी ग़ज़ल पोस्ट करें
    धन्यवाद

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega