न हों पैसे तो इस्तक़बालियों से कुछ नहीं होगा *
किसी शायर का ख़ाली तालियों से कुछ नहीं होगा
निकल आई है उन के पेट से पथरी शुगर-कोटिड
जो कहते थे कि मीठी छालियों से कुछ नहीं होगा
मज़ा जब है कि ज़िन्दों को सुनाओ नग़्मा-ए-उल्फ़त
किसी की क़ब्र पर क़व्वालियों से कुछ नहीं होगा
" ख़ालिद इरफ़ान "
इस्तक़बाल करना = स्वागत करना
* सिर्फ़ स्वागत करने - तालियां बजाने और हार पहना देने से तो कुछ नहीं होगा अगर किसी वक्ता एवं शायर को पैसे एवं पारितोषिक इत्यादि न दिया जाए।
शुगर-कोटिड = Sugar-coated
छालियों = मकई के भुट्टे - मक्की की छलियाँ
ज़िन्दों को = ज़िंदा - जीवित लोगों को
नग़्मा-ए-उल्फ़त = प्यार, मोहब्बत, श्रद्धा के गीत
👌👌👌
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल है मगर अधूरी है
ReplyDeleteकृपया पूरी ग़ज़ल पोस्ट करें
धन्यवाद
Wah
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