Wednesday, March 27, 2024

घाटी और शिखर

जब घाटी से देखते थे - तो बहुत सुंदर लगता था शिखर। 
जब शिखर के पास पहुँच कर देखा तो लगा कि घाटी इस से ज़्यादा सुंदर है। 

अक़्सर - दूर से देखने पर जो सुंदर और उत्तम एवं उत्कृष्ट दिखाई देता है - पास आने पर उसका जादू - उसका आकर्षण समाप्त सा होने लगता है। 
ऐसा महसूस होने लगता है कि उसकी सुंदरता एवं उत्कृष्टता केवल हमारे मन का भ्रम था।  

इसीलिए हमारे बड़े-बूढ़े बुज़ुर्ग और विद्वान लोग अक़्सर ये कहा करते थे कि बड़े लोगों से थोड़ी दूरी बना कर रखनी चाहिए। 
ख़ास तौर पर ऐसे लोग जिन्हें हम अपने हीरो और अनुकरणीय मानते हैं - उनके बहुत क़रीब होने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। 
कहीं ऐसा न हो कि हमारे मन से वो आकर्षण - वो आस्था समाप्त होने लगे और अंततः हम उनके शुभ विचारों और शिक्षाओं से भी दूर हो जाएं। 
                                                                 " राजन सचदेव "

7 comments:

  1. यह तो बिलकुल सही कहा आप जी ने 🙏

    ReplyDelete
  2. Haqeet hai ji aap ji ka kathan

    ReplyDelete
  3. शायद यही सत्यता है क्योंकि निराकार ही निर्विकार और निर्मल निर्लिप्त है आकार में स्वभाविक रुप से भ्रम उत्पन्न हो सकता है। साधुवाद 💞

    ReplyDelete
  4. Rightly said..😊
    Aise hi Hota Hai life mein.

    ReplyDelete
  5. Absolutely true ji.🙏

    ReplyDelete
  6. Dnk g 🙏 Rajan ji kya practical baat ki hai aapne 👌👏

    ReplyDelete
  7. Absolutely uncle ji 🙏

    ReplyDelete

What is Moksha?

According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...