जब घाटी से देखते थे - तो बहुत सुंदर लगता था शिखर।
जब शिखर के पास पहुँच कर देखा तो लगा कि घाटी इस से ज़्यादा सुंदर है।
अक़्सर - दूर से देखने पर जो सुंदर और उत्तम एवं उत्कृष्ट दिखाई देता है - पास आने पर उसका जादू - उसका आकर्षण समाप्त सा होने लगता है।
ऐसा महसूस होने लगता है कि उसकी सुंदरता एवं उत्कृष्टता केवल हमारे मन का भ्रम था।
इसीलिए हमारे बड़े-बूढ़े बुज़ुर्ग और विद्वान लोग अक़्सर ये कहा करते थे कि बड़े लोगों से थोड़ी दूरी बना कर रखनी चाहिए।
ख़ास तौर पर ऐसे लोग जिन्हें हम अपने हीरो और अनुकरणीय मानते हैं - उनके बहुत क़रीब होने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
कहीं ऐसा न हो कि हमारे मन से वो आकर्षण - वो आस्था समाप्त होने लगे और अंततः हम उनके शुभ विचारों और शिक्षाओं से भी दूर हो जाएं।
" राजन सचदेव "
यह तो बिलकुल सही कहा आप जी ने 🙏
ReplyDeleteHaqeet hai ji aap ji ka kathan
ReplyDeleteशायद यही सत्यता है क्योंकि निराकार ही निर्विकार और निर्मल निर्लिप्त है आकार में स्वभाविक रुप से भ्रम उत्पन्न हो सकता है। साधुवाद 💞
ReplyDeleteRightly said..😊
ReplyDeleteAise hi Hota Hai life mein.
Absolutely true ji.🙏
ReplyDeleteDnk g 🙏 Rajan ji kya practical baat ki hai aapne 👌👏
ReplyDeleteAbsolutely uncle ji 🙏
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