Rajan Sachdeva's Diary
Friday, March 22, 2024
جو آنسو پھیل کر دریا ہوا ہے
جو آنسو پھیل کر دریا ہوا ہے
ہماری آنکھ سے ٹپکا ہوا ہے
مقدّر میں لکھا تھا جو نہ میرے
وو دانا دانت میں اٹکا ہوا ہے
( شاعر - نامعلوم )
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जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega
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Kaise bataoon main tumhe Mere liye tum kaun ho Kaise bataoon main tumhe Tum dhadkanon ka geet ho Jeevan ka tum sangeet ho Tum zindagi...
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