Rajan Sachdeva's Diary
Friday, March 22, 2024
जो आँसू फैल कर दरिया हुआ है
जो आँसू फैल कर दरिया हुआ है
हमारी आँख से टपका हुआ है
मुक़द्दर में लिखा था जो न मेरे
वो दाना दांत में अटका हुआ है
(लेखक : नामालूम)
2 comments:
pradeep
March 22, 2024 at 9:52 PM
👌👌👌🙏
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Rajat
April 3, 2024 at 3:39 PM
वाह वाह
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जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega
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👌👌👌🙏
ReplyDeleteवाह वाह
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