Tuesday, December 31, 2019

Another year has passed... But so much yet to do

आहिस्ता चल ज़िन्दगी - अभी कई क़र्ज़ चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है - कुछ फ़र्ज़  निभाना बाकी है

रफ़्तार में तेरे चलने से कुछ रुठ गये  - कुछ छूट गये
रुठों को मनाना बाकी है, रोतों को हंसाना  बाकी है

कुछ रिश्ते बनकर टूट गये, कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गये
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख़्मों को मिटाना बाकी है

कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं कुछ काम भी और ज़रुरी हैं 
ख़्वाहिशें जो घुट गई दिल में, उनको दफ़नाना बाकी है

तू आगे चल मै आता हूँ, क्या छोड़ तुझे जी पाएँगे ?
इन सांसों पर हक़ है जिनका उनको समझाना बाकी है 

आहिस्ता चल जिंदगी - अभी कई कर्ज़ चुकाना बाकी है
                                                         ~ गुलज़ार  ~ 

Aahista chal zindagi, abhi kayi qarz chukaana baaki hai
Kuchh dard mitaana baaki hai, kuchh farz nibhaana baaki hai

Raftaar mein teray chalnay say kuchh rooth gaye, kuchh chhoot gaye

Roothon ko manaana baaki hai Roton ko hansaana baaki hai

Kuchh rishtay ban kar toot gaye - Kuchh judtay judtay chhoot gaye
Un tootay chhootay rishton kay zakhmon ko mitaana baki hai

Kuchh hasratein abhi adhuri hain, Kuch kaam bhi aur zaruri hain
Khwahishen jo ghut gayin dil mein unko dafnaana baaki hai

Tu aagay chal main aataa hoon, Kya chhod tujhay jee paayengay?
In Saanson par haqq hai jin ka, unko samjhaana baaki hai.

Aahistaa chal Zindagi, abhi kayi qarz chukcana baaki hai 


                                          By:  Gulzar

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