Tuesday, December 3, 2019

मेरी ख़ामोशी मजबूरी है Meri Khamoshi Majboori hai

लफ़्ज़ों के ही बोझ से थक जाती है ज़ुबां कभी 
न जाने मेरी ख़ामोशी, मजबूरी है कि समझदारी 

Lafzon kay hee bojh say thak jaati hai zubaan kabhi
Na jaanay meri khamoshi, majboori hai ki samajhdaari 

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न समझे थे न समझेंगे Na samjhay thay Na samjhengay (Neither understood - Never will)

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