Tuesday, December 3, 2019

मेरी ख़ामोशी मजबूरी है Meri Khamoshi Majboori hai

लफ़्ज़ों के ही बोझ से थक जाती है ज़ुबां कभी 
न जाने मेरी ख़ामोशी, मजबूरी है कि समझदारी 

Lafzon kay hee bojh say thak jaati hai zubaan kabhi
Na jaanay meri khamoshi, majboori hai ki samajhdaari 

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कौन सी रात आख़िरी होगी ? Which Night will be the Last one?

न जाने कौन सी बात आख़िरी होगी  न जाने कौन सी रात आख़िरी होगी  मिलते जुलते बात करते रहा करो यारो  न जाने कौन सी मुलाक़ात आख़िरी होगी             ...