Friday, December 20, 2019

ना जाने कौनसी बात आख़िरी होगी

ना जाने कौनसी बात आख़िरी  होगी 
ना जाने कौनसी रात आख़िरी  होगी 

किस को ख़बर है कि ज़िंदगी में 
कौन सी बरसात आख़िरी होगी 

मिलते रहो दोस्तो - न जाने कब 
कौनसी मुलाक़ात आख़िरी होगी 

ख़बर दंगों की सुन के सोचता हूँ
शायद ये वारदात आख़िरी होगी 

इंसानियत के दुश्मनों, दरिंदों की
इंसानियत पे घात आख़िरी होगी 

दिल को खुशफ़हमी है कि शायद 
सच्चाई की ये मात आख़िरी होगी 

कल नौ-बहार ले के आएगी सुबह 
ये ख़ौफ़नाक रात आख़िरी होगी

लेकिन हम सम्भल न पाए तो शायद 
ज़मीं पे ये हयात आख़िरी होगी

मिलता है जो ले ले ख़ुशी से ऐ दोस्त 
शायद ये सौगात आख़िरी  होगी 

सब फ़ना हो जाएगा 'राजन 'यहां 
बस एक रब की ज़ात आख़िरी होगी 
                       ' राजन सचदेव '


1 comment:

  1. Beautiful Rajan Ji !! A valuable life lesson is apparent in this poem. I hope to learn from this. Please keep writing.

    ReplyDelete

Jab tak saans chalti hai - As long as the breath continues

      Uthaana khud hee padta hai thakaa toota badan 'Fakhri'       Ki jab tak saans chalti hai koi kandhaa nahin detaa              ...