लगता है अब दिलों में सदाक़त नहीं रही
किरदार में किसी के नफ़ासत नहीं रही
बंदगी करते हैं ग़रज़ से या ख़ौफ़ से
बे-ग़रज़ और बे-ख़ौफ़ इबादत नहीं रही
हर किसी से तो मोहब्बत कर सके न हम
लेकिन कभी किसी से अदावत नहीं रही
बुनियाद कच्ची हो गई है जब से ज्ञान की
पहले सी वो श्रद्धा की इमारत नहीं रही
हक़ दूसरों का छीन के हँसते हैं देखो लोग
जैसे किसी के दिल में नदामत नहीं रही
मज़हब भी एक धंधा ही बन के है रह गया
दुनिया में अब कहीं भी शराफत नहीं रही
वो भी अब मेरी तरह संजीदा हो गए
बच्चों में वो पहले सी शरारत नहीं रही
वो इश्क़ में पहले सा जोश अब नहीं रहा
वो पहले सी हुसन में नज़ाकत नहीं रही
ना जोशे जवानी है - ना जोशे जुनून है
वो ज़ौक़-आफ़रीन ज़हानत नहीं रही
न दम सुख़न गोई में है, न सोच है नई
वो शायरी में हुसने - इबारत नहीं रही
आँखों में वो ख़लूसे मोहब्बत नहीं रही
चेहरों पे अब वो नूरो-वजाहत नहीं रही
क़ैद हो के रह गई है सोच आजकल
विशाल आसमां सी ज़हानत नहीं रही
अब समझ में आ गया इस दौर का चलन
'राजन 'अब किसी से शिकायत नहीं रही
'राजन सचदेव '
14 सितंबर 2018
सदाक़त सच्चाई Truthfulness
नफ़ासत शुद्धता, निर्मलता, Goodness
अदावत दुश्मनी Animosity
नदामत शर्म, प्रायश्चित Shame, Feeling of being ashamed or humiliation
संजीदा गंभीर Serious
ज़ौक़-आफ़रीन ज़हानत हल्की-फुल्की साधारण चालाकी रहित मानसिकता Open, Light heart nature
सुख़न गोई बोलने का अंदाज़, प्रभावशाली व्याख्यान, Oratory, Speaking style
हुसने - इबारत भाषा और व्याकरण की सुंदरता Beauty of language and grammar
ख़लूसे मोहब्बत विशुद्ध प्रेम Purity of love
नूरो -वजाहत चेहरे पर नूर, मुख मंडल की आभा, चमक Shine, glow on face
ज़हानत सोच, विचार Thinking, Thoughts
किरदार में किसी के नफ़ासत नहीं रही
बंदगी करते हैं ग़रज़ से या ख़ौफ़ से
बे-ग़रज़ और बे-ख़ौफ़ इबादत नहीं रही
हर किसी से तो मोहब्बत कर सके न हम
लेकिन कभी किसी से अदावत नहीं रही
बुनियाद कच्ची हो गई है जब से ज्ञान की
पहले सी वो श्रद्धा की इमारत नहीं रही
हक़ दूसरों का छीन के हँसते हैं देखो लोग
जैसे किसी के दिल में नदामत नहीं रही
मज़हब भी एक धंधा ही बन के है रह गया
दुनिया में अब कहीं भी शराफत नहीं रही
वो भी अब मेरी तरह संजीदा हो गए
बच्चों में वो पहले सी शरारत नहीं रही
वो इश्क़ में पहले सा जोश अब नहीं रहा
वो पहले सी हुसन में नज़ाकत नहीं रही
ना जोशे जवानी है - ना जोशे जुनून है
वो ज़ौक़-आफ़रीन ज़हानत नहीं रही
न दम सुख़न गोई में है, न सोच है नई
वो शायरी में हुसने - इबारत नहीं रही
आँखों में वो ख़लूसे मोहब्बत नहीं रही
चेहरों पे अब वो नूरो-वजाहत नहीं रही
क़ैद हो के रह गई है सोच आजकल
विशाल आसमां सी ज़हानत नहीं रही
अब समझ में आ गया इस दौर का चलन
'राजन 'अब किसी से शिकायत नहीं रही
'राजन सचदेव '
14 सितंबर 2018
सदाक़त सच्चाई Truthfulness
नफ़ासत शुद्धता, निर्मलता, Goodness
अदावत दुश्मनी Animosity
नदामत शर्म, प्रायश्चित Shame, Feeling of being ashamed or humiliation
संजीदा गंभीर Serious
ज़ौक़-आफ़रीन ज़हानत हल्की-फुल्की साधारण चालाकी रहित मानसिकता Open, Light heart nature
सुख़न गोई बोलने का अंदाज़, प्रभावशाली व्याख्यान, Oratory, Speaking style
हुसने - इबारत भाषा और व्याकरण की सुंदरता Beauty of language and grammar
ख़लूसे मोहब्बत विशुद्ध प्रेम Purity of love
नूरो -वजाहत चेहरे पर नूर, मुख मंडल की आभा, चमक Shine, glow on face
ज़हानत सोच, विचार Thinking, Thoughts
Well said. But thank God still there are many like you who can play an important roll in bringing back 'Shehanshah Ka Yug'.
ReplyDeleteProf Rajan sir, kindly suggest alternates, regards.
ReplyDeleteIndividual effort on personal level is the best alternative. If we change our-self, the whole system will get changed by itself. May Nirankar bless us all.
DeleteVery very nice
ReplyDeleteबहुत खूब साहब
ReplyDeleteबहुत खूब साहब
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