Wednesday, November 15, 2017

तुम मेरे पास होते हो गोया

                 " तुम मेरे पास होते हो गोया 
                   जब कोई दूसरा नहीं होता "   
                                                      (मोमिन ' 1800-1851)

इतना सीधा, साफ़ और साधारण दिखने वाला यह शेर अपने अंदर कितने गहरे अर्थ को छुपाये हुए है, इसे कोई संवेदनशील हृदय ही समझ सकता है। इस शेर की सुन्दरता है इसकी संक्षिप्तता और इसमें छुपे हुए एक साथ कई अर्थ।  इतनी सरल भाषा और इतने कम शब्दों में शायर ने किस खूबसूरती से एक प्रेमी हृदय के अन्तर्मन की सारी भावनाओं को अभिव्यक्ति दे दी। एक तरफ तो इस शेर में मिलन का संतोष है - चाहे वह काल्पनिक ही क्यों न हो। अर्थात - एकांत में, तन्हाई में , जब कोई दूसरा नहीं  होता, तो तुम मेरे पास होते हो ... मेरी यादों में ... मेरी कल्पनाओं में।   
लेकिन संतोष के साथ साथ इसमें कुछ व्यथा की चुभन भी झलकती है। क्योंकि अपरोक्ष अर्थ में : "जब कोई दूसरा पास होता है तो तुम पास होते हुए भी मेरे साथ नहीं होते" -- "असल में तो मेरे पास तभी होते हो जब कोई और नहीं होता "
और अगर हम दूसरी लाइन में 'जब ' शब्द के बाद कॉमा लगा कर हल्का सा विश्राम दे दें तो इसका अर्थ हो जायेगा:
"जब तुम मेरे पास होते हो तो (मेरे ख्याल में भी) कोई दूसरा नहीं होता"। 

कहते हैं कि मोमिन खान ' मोमिन ' ने जब ये शेर कहा तो मिर्ज़ा ग़ालिब अनायास ही कह उठे :

"मोमिन - ये एक शेर मुझे दे दो, और इसके बदले में मेरी पूरी जमीनी - मेरा पूरा दीवान* ले लो " | 

आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो उपनिषदों के सारे दर्शन - अर्थात फिलोसोफी (philosophy) का सार इन दो मिसरों में सिमट कर सामने आ जाता है। 
"जब कोई दूसरा नहीं होता" - अर्थात जब द्वैत (dualism) समाप्त हो जाता है - मन में द्वैत (Duality) का भाव नहीं रहता - तो प्रभु अपने सामने साक्षात दिखाई देने लगते हैं - आस पास सिर्फ प्रभु ही नज़र आते हैं। 
'द्वैत या दूसरे ' के रहते, प्रभु पास होते हुए भी पास नहीं होते।  
'द्वैत अथवा दूसरे ' का भाव मिटते ही 'तू ' का अनुभव होने लगता है और मन अनायास ही कह उठता है कि :
           "जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है "

                                                         ' राजन सचदेव '

*दीवान  ----- Collection of poetry

1 comment:

  1. मुझे आप की व्याख्या बहुत ही उम्दा लगी और संतुष्टि प्रदान की खासकर इसकी दार्शनिक व्याख्या... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega