Tuesday, November 14, 2017

महात्मा जी और तोता

एक गाँव में एक महात्मा रहते थे। उन्होंने एक तोता पाल रखा था और वो उस से बहुत प्रेम करते थे । महात्मा जी दिन में चार पाँच बार कुछ समय के लिए बैठ कर राम - नाम का सुमिरन किया करते थे। उन्हें सुनते सुनते उस तोते ने भी राम राम कहना सीख लिया। पंडित जी तो दिन में चार पाँच बार ही राम राम का सुमिरन करते थे लेकिन तोते के पास तो और कोई काम न था। वो सारा दिन ही राम राम की रट लगाए रहता। 

एक दिन कहीं से एक बिल्ली घर के अन्दर आ गई।  पिंजरे का दरवाजा खुला था।  बिल्ली ने झपट कर तोते को दांतों में दबा लिया और उठा कर ले गई। 
महात्मा जी ने देखा तो बहुत बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगे। उनका रोना सुन कर आस पड़ोस के लोग इकठे हो गए। लोगों ने उन्हें सांत्वना देने की बहुत कोशिश की लेकिन महात्मा जी रोते ही रहे।  
लोगों ने कहा - महात्मा जी आप रोइये मत। हम आपको एक और तोता ला देते हैं। कुछ ही दिनों में वो भी राम राम कहना सीख लेगा।  
महात्मा जी  बोले : मैं तोते की जुदाई पर नही रो रहा हूं । 
पूछा गया : फिर आप क्यों रो रहे हो ?? 
महात्मा जी कहने लगे कि दर अस्ल बात ये है कि वो तोता वैसे तो सारा दिन ही राम राम कहता रहता था लेकिन आज जब बिल्ली उस पर झपटी तो वो राम राम भूल कर टाएं टाएं करने लगा । 
अब मुझे ये फिक्र खाए जा रही है कि वैसे तो मैं भी सारा दिन राम राम कहता रहता हूँ  लेकिन जब मौत रुपी बिल्ली मुझ पर झपटेगी तो न मालूम उस समय मेरी जबान से राम राम निकलेगा या मैं भी उस तोते की तरह टाएं टाएं करने लगूंगा ? 

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