Wednesday, April 10, 2019

सुनता सब की हूँ मगर - Suntaa Sab Kee Hoon Magar

सुनता सब की हूँ मगर कहता किसी को कुछ नहीं
और अगर कहता हूँ तो सुनता किसी को कुछ नहीं

आईना  तो  देखता है  रोज़  हर  कोई  मगर
ख़ुद-बीनाई के सिवा दिखता किसी को कुछ नहीं

आते तो हैं लोग बड़े ही  शौक़ से सत्संग  में
जो सुना वो याद मगर रहता किसी को कुछ नहीं

बात सच्ची है ये 'राजन ' जो बुज़ुर्गों ने कही
इश्क़ में दुःख के सिवा मिलता किसी को कुछ नहीं
                                ' राजन सचदेव '


Suntaa sab ki hoon magar kehtaa kisee ko kuchh nahin
Aur agar kehtaa hoon to suntaa kisee ko kuchh nahin

Aaeena to dekhtaa hai roz har koyi magar
Khud-binaayi kay sivaa dikhtaa kisi ko kuchh nahin

Aatay to hain log baday hee shauq say Satsang mein
Jo sunaa vo yaad magar rehtaa kisi ko kuchh nahin

Baat sachee hai ye 'Rajan' - jo buzurgon nay kahee
Ishq mein duhkh kay sivaa miltaa kisi ko kuchh nahin
                                         'Rajan Sachdeva'


ख़ु
द-बीनाई ------ आत्म-दर्शन, आत्म-प्रशंसा 

Khud-Beenaayi ------ Self-acknowledgement, Self-admiration

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