एक मैं ही समझदार हूँ बाकी सब नादान
इसी वहम में घूम रहा है देखो हर इंसान
Ek main hee samajh-daar hoon baaki sub nadaan
Isi veham me ghoom rahaa hai dekho har insaan
हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं मुझको माफ़ कीजिए मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा बिला वजहा न ...
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