Tuesday, July 10, 2018

प्रेम-पंथ ऐसो कठिन

                    ‘रहिमन ’ मैन -तुरंग चढ़ि, चलिबो पावक माहिं।
                    प्रेम-पंथ ऐसो कठिन, सब कोउ निबहत नाहिं॥8॥

ऐ रहीम - जैसे मोम के बने घोड़े पर सवार हो कर आग पर चलना पड़े -
प्रेम का मार्ग इतना ही कठिन है - हर कोई उस मार्ग पर नहीं चल सकता।
               
                           "जहिं मार्ग पंडित गए - पाछे गई वहीर
                           औघट घाटी राम की तहिं चढ़ि रहियो कबीर "

पंडित लोग अर्थात धर्म के आगू , प्रवक्ता ,लीडर इत्यादि जिस ओर ले जाना चाहते हैं
लोगों की भीड़ उसी तरफ -उनके पीछे चल पड़ती है
लेकिन राम की घाटी - जिस पर कबीर चढ़ रहे हैं -बड़ी ही विकट है।
अर्थात हर कोई इस औघट घाटी पर नहीं चढ़ सकता। 

   "क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया -दुर्गम पथस्तत कवयो वदन्ति "
                                                                            (कठोपनिषद 3:14)
अर्थात: तलवार की धार से  भी तेज़ -अति कठिन है  यह (आध्यात्मिक ) मार्ग 
ऐसा  विद्वानों  (ऋषि मुनियों )का मत है  

                    "खन्डयों तिखी वालहुं निक्की एतु मार्ग जाना "
                                                          (आदि ग्रन्थ 918 )
अर्थात: आध्यात्मिकता के लिए तो ऐसे मार्ग पर जाना पड़ता है 
जो खंडे अथवा तलवार से भी तीखा और बाल से भी पतला है। 

                   "जे तउ प्रेम खेलन का चाओ -सिर धर तली गली मोरी आओ "
                                                                    (गुरु गोबिंद सिंह)
सिर अभिमान का, अहंकार का प्रतीक है
प्रेम के मार्ग पर चलना हो तो अहंकार का त्याग करना पड़ता है
सर पर अहंकार की गठरी लिए मार्ग पर नहीं चल सकता।
                                         "राजन सचदेव "


1 comment:

  1. Thank u for inspirational blessings....Dhan nirankar ji

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega