Tuesday, December 17, 2024

हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं - मुझको माफ़ कीजिए

हज़ारों ख़ामियां मुझ में हैं मुझको माफ़ कीजिए
मगर हुज़ूर - अपने चश्मे को भी साफ़ कीजिए 

मिलेगा क्या बहस-मुबाहिसों में रंज के सिवा
बिला वजहा न हर इक बार इख़्तिलाफ़ कीजिए        (मनमुटाव)

ये तंज़-ओ-तैन हर इक बात पे अच्छा नहीं होता   (मज़ाक़ उड़ाना ताने देना)
ज़रा सोचो - औ' रिश्तों में न यूं शिगाफ़ कीजिए     (दरार, Rift)

ये हक़ है आपको मानो जिसे तुम चाहते हो - पर  
न जंग-ओ-ज़द किसी के धर्म के ख़िलाफ़ कीजिए        (मार-काट)

किसी पे करना हो इतक़ाद - तो पहले ऐ दोस्तो        (श्रद्धा,विश्वास)
हर इक पहलू पे हर जानिब से इन्किशाफ़ कीजिए   (जाँच-पड़ताल)

न हासिल होगा कुछ भी हर जगह माथा रगड़ने से
कदूरत और नफ़रत दिल से पहले साफ़ कीजिए

नज़रअंदाज़ करना सीखिए बेकार बातों को 
जो राह मंज़िल पे ले जाए वहीं तवाफ़ कीजिए 

समय के साथ हर इक शै बदल जाती है दुनिया में  
कभी ताज़ा हवाओं से न इख़्तिलाफ़ कीजिए 

किसी में वस्फ़ है कोई तो एहतिराम करें उसका  (गुण है तो इज़्ज़त करें)
नज़रअंदाज़ ग़ैरों के भी न औसाफ़ कीजिए 

हर एक बात पे 'राजन' को ही इल्ज़ाम देते हो 
कभी अपनी भी ग़लतियों का ऐतराफ़ कीजिए   (स्वीकार करना)
                        " राजन सचदेव "

चश्मा                     = Glasses, Lens 
बहस-मुबाहिस        = वाद-विवाद, तर्क  Debates, Arguments 
रंज                        =  रोष, नाराज़गी, द्वेष, मन मुटाव  Resentment, Displeasure, anger, malic
इख़्तिलाफ़             = असहमति, विचार भेद, मन मुटाव  Disagreement, Disaproval, difference of opinion, discord  
तंज़-ओ-तैन            =  उपहास, मज़ाक उड़ाना और ताना देना Taunt & Sarcasm  
शिगाफ़                 =  दरार, (रिश्तों में दरार पैदा करना), तरेड़   Crack, Split, Rift  
जंग-ओ-ज़द          =  लड़ाई और मार काट  
एतक़ाद                = विश्वास, श्रद्धा Faith       
हर जानिब से          = हर तरफ से  From every angle 
इन्किशाफ़             = निरीक्षण, गवेषणा, जांच पड़ताल, तहक़ीक़ात, Research, Investigation, Inquiry 
कदूरत                  = मलीनता 
तवाफ़                  =  परिकर्मा, चक्कर लगाना  
इख़्तिलाफ़             = असहमति, Disagreement,
वस्फ़                     = गुण, योग्यता, विशिष्टता,  Quality, Merit, Virtue  
एहतराम               =  इज़्ज़त, मान Respect, Honor 
औसाफ़                = गुण - योग्यताएं - वस्फ़ का बहुवचन 
एतराफ़                = स्वीकार करना, स्वीकृति, मान लेना To Admit, To accept one's own faults 

19 comments:

  1. Beautifully explained Dear Saint Keep sharing ji 🌺

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  2. बहुत खूब बयान किया है हुज़ूर।

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  3. Beautiful thoughts beautifully expressed

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  4. We can say only
    Just wow

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  5. 👍❤️👌बुहत खूब जी 🎊🙏

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  6. Thoughtful and introspective

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  7. BAHUT KHOOBSOORAT KHYIAL HEI JENAB, DHAN NIRANKAR JI

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  8. 🙏Excellent.Absolutely true ji .Bahut hee Uttam ji.🙏

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  9. Bahut sunder ji❤️❤️

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  10. Wow,Marvellous,Excellent and ......Thanks for sharing
    Ashok Chaudhary

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  11. Bhaut khoob 🙏🏿

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  12. Bahut hi sundar bhav ji!
    Sanjeev Khullar

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  13. Namaste Sir, I am particularly drawn to the message of peace that your poem calls upon. Peace and respect despite perceived differences feels like the ultimate gift for an individual human and humanity at large. Thank you.

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