Tuesday, December 10, 2024

देवी देवताओं के चित्रों में कई सिर क्यों दिखाए जाते हैं

आज सुबह कुछ मित्रों की तरफ से भगवान हनुमान के एक चित्र के साथ मंगलवार की शुभकामनाएँ मिलीं। 
(बहुत से लोग मंगलवार को भगवान हनुमान का दिन मानते हैं)
लेकिन जिस चीज़ ने मेरा ध्यान खींचा, वह यह थी कि इस तस्वीर में भगवान हनुमान को एक नहीं, बल्कि कई सिरों या चेहरों के साथ दिखाया गया था।

अक़्सर ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, दुर्गा इत्यादि बहुत से हिंदू देवी देवताओं को 3 - 4 या 5 सिरों के साथ दिखाया जाता है, जिनके मुख अलग-अलग दिशाओं में होते हैं।
कुछ लोग ऐसे चित्रों को देख कर हँसते हैं - इन्हें काल्पनिक और यहां तक कि मूर्खतापूर्ण कह कर उनका मज़ाक भी उड़ाने लगते हैं। 
लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो इन के पीछे एक गहरा प्रतीकात्मक अर्थ छिपा हुआ है।
इसे समझने के लिए, हमें सबसे पहले प्राचीन हिंदुओं की रचनात्मक प्रवृति को समझ कर उस की सराहना करनी चाहिए।
कहानियों और कलात्मक चित्रों के माध्यम से, उन्होंने जटिल विचारों को इस ढंग से व्यक्त करने का यत्न किया कि दर्शक एवं पाठक उनके सिद्धांतों को आसानी से याद रख के उन के साथ जुड़े रह सकें।

 'देव या देवता' शब्द को अंग्रेजी में अनुवाद करते समय अक़्सर God कह दिया जाता है हालाँकि, देवता का शाब्दिक अर्थ "प्रदाता" अर्थात देनेवाला होता है।
सूर्य, अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु और पौधों जैसे प्राकृतिक तत्वों को देवता माना जाता है। क्योंकि वे पृथ्वी पर जीवन को पनपने और बनाए रखने का स्रोत्र हैं। वे जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजें प्रदान करते हैं, जिससे जीवन संभव हो पाता है। इनके बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता।  

इसी तरह, एक दयालु नेता, राजा या शासक जो अपने लोगों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करता है और उन्हें धर्म एवं सत्मार्ग की ओर ले जाता है - को भी देवता माना जा सकता है।
और एक देवता को हमेशा चौकस होना चाहिए। उसकी दृष्टि चारों ओर होनी चाहिए। 
देवताओं के कई सिर होना उनके उन गुणों का प्रतीक हैं जो एक देवता में होने चाहिएं।
बुद्धिमानी से नेतृत्व करने के लिए उन्हें अपने आस-पास के वातावरण का अच्छी तरह से निरीक्षण करने की ज़रुरत होती है - उन्हें सभी दृष्टिकोणों पर विचार कर के अपने अनुयाइयों के लिए सर्वोत्तम मार्ग चुनने के लिए हर संभावना का पता लगाना चाहिए। 
इसलिए विभिन्न दिशाओं की तरफ मुख रखने वाले कई सिर उनके आस-पास की दुनिया के सभी पहलुओं को देखने और समझने की उनकी क्षमता का एक रुपक मात्र हैं। 
अनावश्यक आलोचना करने - हंसने और मज़ाक उड़ाने से पहले, हमें ऐसी छवियों और रुपकों के पीछे छिपे हुए गहन अर्थों को समझने और अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।
                                                        "राजन सचदेव "

9 comments:

  1. Beautiful explanation. Thank you 🙏🙏

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  2. धन्यवाद आप जी का ये तथ्य समझाने के लिए

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  3. 🙏🙏🙏🙏👌

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  4. Beautifully explained uncle ji

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  5. Very well explained. The explanation is always from the heart. मानो तो भगवान है । नहीं तो पत्थर है । ❤️🙏❤️🙏

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  6. यकीनन देवता के बहु मुख दर्शाने के पीछे यही कल्याणकारी भाव है, राजन जी। बहुत सुंदर व्याख्या। देव प्रतीक है देने का सृजनात्मकता का। वाह जी वाह। ऐसे भाव हमेशा सांझा करते रहिए जी 🙏 🌺

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  7. Thanks for sharing ji - Regards Naveen

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