Wednesday, December 11, 2024

Idol worshipping

                           Are Hindus the Only Idol Worshippers?

Idol worship does not just refer to statues, pictures, or images on walls.
An image preserved in the mind and followed with total reverence is also a form of idol worship.
Hero worship or revering certain personalities can also be considered idol worship—even if we do not keep their pictures or statues before us.

Every religion and its followers respect and follow their founders, Gurus, Messiahs, and Prophets.
People across cultures and faiths look up to great personalities as role models or idols, honoring them in their own ways.

The story of Jesus and the symbol of the cross are central to Christianity. 
The whole ideology revolves around  Jesus Christ.
For them, Jesus Christ is the only way to connect with God. 

The personality of Prophet Muhammad is central to Islam.
He is regarded as the final prophet and the sole path to pleasing Allah. 
Islam is incomplete without mentioning Prophet Muhammad and acknowledging his supremacy.

In Sikhism, the reverence - the worship and prayers offered to their Holy Book form the core of their worship.
While the object of their devotion differs, the practices and rituals are not different at all.

The holy fire in the Yagna-Kund is the very center of the Vedic rituals of Arya Samaj.

Yet, everyone claims that only Hindus are idol worshippers.

It is easy to blame and criticize others without reflecting on the beliefs, rituals, and practices within one’s own religion.
Often, people think only they are right and everyone else is wrong.
However, by thinking objectively and rationally, we may find that the same things we criticize in others also exist within ourselves.

True gyana—true spiritual wisdom—is to realize the oneness of God in many forms and the unity of humanity.
Everyone should be free to worship in their own way, and at the same time, it is vital to respect the customs and feelings of others.

Unity—not in uniformity, but in diversity—is the only way to bring harmony and peace to the world.
                                           " Rajan Sachdeva "

मूर्ति पूजा

                                क्या सिर्फ़ हिंदू ही मूर्तिपूजक हैं?

मूर्ति का मतलब सिर्फ़ एक प्रतिमा, एक तस्वीर या दीवार पर लगी हुई छवि नहीं है।
और पूजा का अर्थ केवल किसी वस्तु, प्रतिमा या तस्वीर के आगे सर झुका कर किसी ख़ास तरह का कोई अनुष्ठान करना ही नहीं होता।
पूरी श्रद्धा के साथ मन में संजोई गई कोई छवि और उसका अनुसरण भी मूर्तिपूजा के समान ही है।
किसी व्यक्तित्व या नायक को अपना ईष्ट अर्थात हीरो मान कर अक्षरशः उनका अनुकरण करना भी मूर्तिपूजा ही है।
हर धर्म और उसके अनुयायी अपने संस्थापकों, गुरुओं, मार्गदर्शकों, मसीहाओं और पैगम्बरों का सम्मान करते हैं और हर तरह से उनका अनुसरण करने का प्रयास करते हैं।
हर इन्सान किसी न किसी महान व्यक्तित्व को अपना आदर्श मानता है और अपने-अपने तरीके से उनकी पूजा करता है। 

ईसा मसीह के बलिदान (Crusifiction) की कहानी और क्रॉस का प्रतीक ईसाई धर्म के केंद्र में स्थित है। उनके मत अनुसार ईसा मसीह ही ईश्वर तक पहुँचने का एकमात्र साधन हैं।

पैगंबर मुहम्मद का व्यक्तित्व इस्लाम का केंद्र है। पैगंबर मुहम्मद का ज़िक्र और उनकी प्रभुता को स्वीकार किए बिना इस्लाम अधूरा है।

इसी तरह, अपने गुरु ग्रंथ साहिब जी की आरती पूजा करना न केवल सिख धर्म का केंद्र है बल्कि उनकी आरती और पूजा का विधान भी कुछ अलग नहीं है।

यज्ञ-कुंड में प्रज्वल्लित अग्नि आर्य समाज के वैदिक अनुष्ठानों का केंद्र है।

और फिर भी, वे सभी तर्क देते हैं कि सिर्फ़ हिंदू ही मूर्तिपूजक हैं।

बात केवल चित्र या मूर्ति बना कर सामने रखने की नहीं होती।
अपने दिल में किसी इंसान, गुरु, पैग़ंबर, रहबर या मौला को प्रतीक मान कर हमेशा उनके जीवन का अनुसरण करने की कोशिश करना इत्यदि भी Hero Worship अर्थात मानव पूजा एवं मूर्ति पूजा के समान ही तो है।
अपनी और अपने धर्म की मान्यताओं,अनुष्ठानों और प्रथाओं का निष्पक्ष रुप से आकलन किए बिना दूसरों को दोष देना और उनकी आलोचना कर देना बहुत आसान होता है। क्योंकि हर इंसान सोचता है कि सिर्फ़ वही सही है और बाकी सब गलत हैं।
हो सकता है कि निष्पक्ष भाव से तर्कसंगत सोच विचार करने पर वही सब बातें
- जिसके लिए हम दूसरों की आलोचना करते हैं - हमें अपने अंदर भी दिखाई दे जाएं।

सच्चे ज्ञान - सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान का अर्थ एक ईश्वर और उसके विभिन्न रुपों की पहचान - और मानव मात्र की एकता को केवल शब्दों में नहीं बल्कि सही मायने में महसूस करना है। "कण कण में भगवान और कण कण है भगवान" के भाव को सही रुप में अपनाना है।
हर इंसान को अपने-अपने तरीके से पूजा-पाठ, अर्चना, वंदना करने की आज़ादी होनी चाहिए - लेकिन साथ ही, हर किसी को दूसरों की भावनाओं और रीति-रिवाजों का भी सम्मान करना चाहिए।
एकता को एकरुपता में नहीं - बल्कि विविधता में स्वीकार करना ही संसार के सभी लोगों के बीच सद्भाव और शांति लाने का एकमात्र साधन है।
                                                " राजन सचदेव "

Tuesday, December 10, 2024

Why do Hindu Gods have multiple heads?

This morning I received Tuesday greetings from some friends with a picture of Lord Hanuman. 
(Many people consider Tuesday as Lord Hanuman's day)

What caught my eyes, however, was that the Lord Hanuman in this picture was depicted with not one - but many heads. 

In fact, many Hindu Gods like Brahma, Vishnu, Mahadev, and Durga are often portrayed with multiple heads, each facing a different direction. 
I have seen some people laughing and questioning such images - calling them unrealistic and even stupidity. 

However, this depiction carries profound symbolism.

To understand this, we must first appreciate the creativity of ancient Hindus. 
Through stories and imagery, they conveyed complex ideas in ways that resonated deeply with their audiences.

The term 'Dev or Devtaa is often translated into English as "god," typically written with a lowercase 'g' to distinguish it from the singular God of Judeo-Christian-Islamic traditions. 
However, the literal meaning of Devtaa is "Provider" (Denewala).

Natural elements such as the sun, fire, water, earth, air, and plants are regarded as Devtaas because they sustain life on earth. They provide the essentials required for survival, making life possible.


Similarly, a benevolent leader—a king or ruler who ensures the safety and well-being of their people and guides them toward righteousness—can also be considered a Devtaa.
And a Devtaa, by definition, must be observant.
The depiction of multiple heads symbolizes the qualities a Devtaa must embody.

To lead wisely, they must observe their surroundings thoroughly -
consider all perspectives, and explore every possibility to choose the best path. 
The many heads facing different directions are a visual metaphor for this ability to see and understand all aspects of the world around them.

Before criticizing and laughing, we should try to understand and adopt the hidden meanings behind such images and metaphors.  
                                              " Rajan Sachdeva "

देवी देवताओं के चित्रों में कई सिर क्यों दिखाए जाते हैं

आज सुबह कुछ मित्रों की तरफ से भगवान हनुमान के एक चित्र के साथ मंगलवार की शुभकामनाएँ मिलीं। 
(बहुत से लोग मंगलवार को भगवान हनुमान का दिन मानते हैं)
लेकिन जिस चीज़ ने मेरा ध्यान खींचा, वह यह थी कि इस तस्वीर में भगवान हनुमान को एक नहीं, बल्कि कई सिरों या चेहरों के साथ दिखाया गया था।

अक़्सर ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, दुर्गा इत्यादि बहुत से हिंदू देवी देवताओं को 3 - 4 या 5 सिरों के साथ दिखाया जाता है, जिनके मुख अलग-अलग दिशाओं में होते हैं।
कुछ लोग ऐसे चित्रों को देख कर हँसते हैं - इन्हें काल्पनिक और यहां तक कि मूर्खतापूर्ण कह कर उनका मज़ाक भी उड़ाने लगते हैं। 
लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए तो इन के पीछे एक गहरा प्रतीकात्मक अर्थ छिपा हुआ है।
इसे समझने के लिए, हमें सबसे पहले प्राचीन हिंदुओं की रचनात्मक प्रवृति को समझ कर उस की सराहना करनी चाहिए।
कहानियों और कलात्मक चित्रों के माध्यम से, उन्होंने जटिल विचारों को इस ढंग से व्यक्त करने का यत्न किया कि दर्शक एवं पाठक उनके सिद्धांतों को आसानी से याद रख के उन के साथ जुड़े रह सकें।

 'देव या देवता' शब्द को अंग्रेजी में अनुवाद करते समय अक़्सर God कह दिया जाता है हालाँकि, देवता का शाब्दिक अर्थ "प्रदाता" अर्थात देनेवाला होता है।
सूर्य, अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु और पौधों जैसे प्राकृतिक तत्वों को देवता माना जाता है। क्योंकि वे पृथ्वी पर जीवन को पनपने और बनाए रखने का स्रोत्र हैं। वे जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजें प्रदान करते हैं, जिससे जीवन संभव हो पाता है। इनके बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता।  

इसी तरह, एक दयालु नेता, राजा या शासक जो अपने लोगों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करता है और उन्हें धर्म एवं सत्मार्ग की ओर ले जाता है - को भी देवता माना जा सकता है।
और एक देवता को हमेशा चौकस होना चाहिए। उसकी दृष्टि चारों ओर होनी चाहिए। 
देवताओं के कई सिर होना उनके उन गुणों का प्रतीक हैं जो एक देवता में होने चाहिएं।
बुद्धिमानी से नेतृत्व करने के लिए उन्हें अपने आस-पास के वातावरण का अच्छी तरह से निरीक्षण करने की ज़रुरत होती है - उन्हें सभी दृष्टिकोणों पर विचार कर के अपने अनुयाइयों के लिए सर्वोत्तम मार्ग चुनने के लिए हर संभावना का पता लगाना चाहिए। 
इसलिए विभिन्न दिशाओं की तरफ मुख रखने वाले कई सिर उनके आस-पास की दुनिया के सभी पहलुओं को देखने और समझने की उनकी क्षमता का एक रुपक मात्र हैं। 
अनावश्यक आलोचना करने - हंसने और मज़ाक उड़ाने से पहले, हमें ऐसी छवियों और रुपकों के पीछे छिपे हुए गहन अर्थों को समझने और अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।
                                                        "राजन सचदेव "

Sunday, December 8, 2024

Friday, December 6, 2024

Decision after deep analysis -- गहन विश्लेषण के बाद निर्णय

Wise people make their decisions after thorough analysis and deep thought 

While the naive and ignorant start following the crowd without thinking 
- without understanding the facts. 


ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा गहन विश्लेषण और गहरी सोच-विचार के बाद ही कोई निर्णय लेते हैं  

लेकिन नादान और अनभिज्ञ लोग बिना सोचे-समझे और बिना तथ्य जाने ही किसी भीड़ का अनुसरण करने लगते हैं। 

Thursday, December 5, 2024

शब्द गूंगे हो गए - इन्साफ अंधा हो गया

दर बदर जो थे वो गुलज़ारों के मालिक हो गए 
जो थे कल दरबान- दरबारों के मालिक हो गए 

शब्द गूंगे हो  गए  - इन्साफ अंधा हो गया 
सारे मुख़बिर आज अख़बारों के मालिक हो गए

देखते ही देखते बदल गई सारी फ़िज़ा 
जो बिकाऊ थे वो बाज़ारों के मालिक हो गए 

जो थे वफ़ादार उनके सर तो कलम हो गए 
और सब  गद्दार दस्तारों के मालिक हो गए 
                               (अज्ञात)

मुख़बिर   = ख़बर देने वाला, जासूस 
दस्तार    = पगड़ी, सरदारी 

Shabd goongay ho gaye - insaaf andha ho gaya

Dar-ba-dar jo thay vo gulzaaron kay maalik ho gaye 
Jo thay kal darbaan- darbaaron kay maalik ho gaye

Shabd goongay ho gaye - insaaf andha ho gaya 
Saray mukhbir aaj akhbaaron kay maalik ho gaye

Dekhtay hee dekhtay badal gayi saari fiza 
Jo bikaaoo thay vo bazaron kay maalik ho gaye

Jo thay vafadaar un kay sar to kalam ho gaye 
Aur sab gaddaar dastaaron kay maalik ho gaye 


Darbaan     = Gatekeeper 
Mukhbir     = Spy 
Dastaar   = Pagadi, Turban, a title or symbol of respect & authority  


Tuesday, December 3, 2024

Wisdom declines when arrogance rises (Gyan ghatay ati dambh kiye)

                               Please scroll down for the English translation

Gyan ghatay ati dambh kiye aur Dhyaan ghatay vishayan bharmaaye 
Tej ghatay bahu krodh kiye - Sukh chain ghatay eerkha urajhaaye 

Moh ghatay jab lobh badhay aur mitra ghaten nij mahimaa gaaye 
Prem ghatay nit hee kuchh maangat Maan ghatay nit haath phailaaye 

Aayu ghatay anuchit bhojan syon buddhi ghatay bin padhay padhaaye
Aalas syon vyopaar ghatay Abhimaan ghatay Santaap kay aaye *** 

Durjan kay sang durmati upjay - vair virodh ghrina badh jaaye
Dayaa ghatay, Sadbhaav ghatay Karuna-anukampa man say jaaye 

Lobh laalsa, Sva-hit chintaa Satya kay maarg say bhatkaaye 
Seemit gyaan, Abodh kee sammati beech bhanvar mein naav dubaaye
                              ~~~~~~~~~~

                                          Part 2.  
Karm kiye nirdhantaa jaaye - Rog mitay kuchh aushadhi kaahaye
Timir mitay jab deep jalay - Sab vair mitay jab matsar jaaye 

Mitay kubuddhi Sajjan kay sang - Sadbuddhi Sanmati upakaaye
Satya ka Gyan Santan ki Sangat Bhav saagar say paar lagaaye

Kaam mitay- tab Raam milay, Jab Raam milay man dheeraj paaye
Chintaa kshobh mitay man syon jab Nishchal kay sang dhyaan lagaaye

Santushti say lobh mitay, Jag moh mitay Hari syon chit laaye
Dekh Aseem ahankaar mitay aur krodh mitay man ko samjhaaye

Brahm milay to Bhram mitay - Sab paap katen Hari naam dhyaaye 
Sun 'Rajan' Sukh-chain milay jab chhod Anek ik syon Chit laaye
                             " Rajan Sachdeva "

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Dambh          = Pride, Ego 
Vishayan       =   Vishaya, Vikaar - Lust, Vices 
Karuna-anukampa  =  Empathy, Sympathy 
Abodh             =    Ignorant, Without knowledge 
Nirdhanta      = Poverty 
Timir               =  Darkness
Matsar           =    Jealousy, Envy
Sadbuddhi     =  Good or Right knowledge, intelligence
Sanmati         =   Good and auspicious thoughts 
                 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
                                  Translation 

When arrogance rises, wisdom declines, 
And indulgence in worldly distractions clouds the mind.

Excessive anger disrupts a person’s inner peace and as a result, their aura—facial radiance, glow, and grace fades away.
When the mind remains consumed by jealousy, the joy and tranquility of life diminish.

When greed takes control, it erodes love and affection.
Even among siblings and close family members, disputes often arise during the division of inheritance from parents and ancestors, turning family bonds into battlegrounds.

Constantly praising oneself and boasting about one's qualities eventually causes even friends to drift away.

Love dwindles when demands are constant,
And dignity is lost when one stoops to beg.

Health declines with improper diet 
Wisdom fades without constant learning and gaining new knowledge.
Laziness leads to business failure 
When sorrow, grief, or illness strikes, even the pride and arrogance of the greatest can crumble.

In the company of the wicked, negativity flourishes, giving rise to hatred and animosity.
Compassion and kindness wither away, Leaving the heart devoid of mercy.

Greed, desire, and self-interest lead astray from the path of truth. 
Limited knowledge and misguided counsel can sink the boat of life into a whirlpool of confusion.

                                           Part 2 

Poverty is overcome through effort and hard work and illnesses are cured with proper medicine.

Darkness vanishes when a lamp is lit, and enmity ends when jealousy is abandoned. 

Evil thoughts vanish in the company of the virtuous - Wisdom and noble intentions arise through their influence.

True knowledge and the company of saints lead one safely across the ocean of existence.

Desires dissolve upon meeting the Divine - With the Divine, the mind finds patience and peace.
Worries and agitation disappear when the mind focuses on the unchanging truth.

Our minds often wander endlessly, chasing every desirable thing around us. 
Yet, no one can attain everything they wish for.
When we fail to achieve something - when circumstances don’t align with our desires, we feel disheartened.

However, when we center our thoughts on the One Omnipotent God, our mind ceases to wander and finds stillness. It becomes steady, content, and free from unnecessary cravings.
With this inner calm, peace and joy naturally flow into our lives.

Contentment removes greed, and worldly attachments fade when the heart turns toward the Divine.
Witnessing the infinite humbles our pride - 
And, anger can be controlled with patience and deeper understanding.

Union with the Supreme dispels illusions 
And sins are absolved through meditation on the divine name.
True joy and peace are found when one lets go of the many and focuses on the One.

True success in life comes from focusing on one goal with undivided attention,
rather than scattering one’s energy in many directions. 
                                    " Rajan Sachdeva "

ज्ञान घटे अति दम्भ किए

ज्ञान घटे अति दम्भ किए और ध्यान घटे विषयन भरमाए
तेज घटे बहु क्रोध किए - सुख चैन घटे ईरखा उरझाए 

मोह घटे जब लोभ बढ़े और मित्र घटें निज महिमा गाए 
प्रेम घटे नित ही कुछ माँगत मान घटे निज हाथ फैलाए  

आयु घटे अनुचित भोजन स्यों बुद्धि घटे बिन पढ़े पढ़ाए 
आलस स्यों व्योपार घटे अभिमान घटे संताप के आए ***

दुर्जन के संग दुर्मति उपजे वैर विरोध घृणा बढ़ जाए  
दया घटे, सद्भाव घटे करुणा अनुकम्पा मन से जाए 

लोभ लालसा, स्वहित चिंता सत के मार्ग से भटकाए 
सीमित ज्ञान, अबोध की सम्मति बीच भंवर में नाव डुबाए  

                              ~~~~~~~~~~
                                  2.  समाधान

कर्म किए निर्धनता जाए - रोग मिटे कुछ औषधि खाए 
तिमिर मिटे जब दीप जले सब वैर मिटें जब मत्सर जाए 

मिटे कुबुद्धि सज्जन के संग - सद्बुद्धि सन्मति उपजाए 
सत का ज्ञान, संतन की संगत भवसागर से पार लगाए 

काम मिटे - तब राम मिले - जब राम मिले मन धीरज पाए   
चिंता क्षोभ मिटे मन स्यों जब निष्चल के संग ध्यान लगाए 

संतुष्टि से लोभ मिटे - जग-मोह मिटे हरि स्यों चित्त लाए 
देख असीम अहंकार मिटे और क्रोध मिटे मन को समझाए 

ब्रह्म मिले तो भ्रम मिटें - सब पाप कटें हरि नाम ध्याए 
सुन 'राजन' सुख चैन मिले जब छोड़ अनेक इक स्यों चित लाए 
                             " राजन सचदेव "

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दम्भ         =  अभिमान, अहंकार    Ego  
विषयन    =   विषय-विकार - Vices कामनाएं 
अबोध      =  अनभिज्ञ, अनजान Ignorant, Without knowledge 
तिमिर      =  अँधेरा 
मत्सर      =    ईर्ष्या, डाह, Jealousy
सद्बुद्धि    =  अच्छी बुद्धि  Good or Right knowledge, intelligence
सन्मति      =  अच्छी सोच - अच्छे एवं शुभ विचार  Good and auspicious thoughts 
 

* बहुत अधिक क्रोध व्यक्ति के अपने मन की शांति को भंग कर देता है - 
और परिणामस्वरुप उसकी आभा - चेहरे की कांति - चमक और लालित्य कम हो जाती है।
मन हर समय ईर्ष्या में उलझा रहे तो जीवन में आनंद और शांति कम हो जाती है।

** जब मन में लालच हावी हो जाता है तो भाई-बहनों और करीबी रिश्तेदारों के बीच भी प्यार और स्नेह समाप्त हो जाता है 
माता पिता और पूर्वजों की विरासत को बाँटने के समय अक़्सर परिवारों में लड़ाई-झगड़े शुरु हो जाते हैं।

हर समय अपनी प्रशंसा - अपने ही गुण बखान करते रहने से अंततः मित्र भी साथ छोड़ जाते हैं।

*** यदि दुःख- शोक संताप और बिमारी आ जाए तो बड़े बड़ों  का अभिमान और गर्व भी टूट जाता है। 

**** अनेक की बजाए एक पर एकाग्रता से ध्यान केंद्रित करने से ही जीवन में सफलता प्राप्त हो सकती है 

आमतौर पर हमारा मन सभी दिशाओं में भटकता रहता है - हम अपने आस-पास की हर वांछनीय वस्तु को प्राप्त करना चाहते हैं। 
लेकिन किसी भी इंसान के लिए हर वांछित वस्तु को पाना संभव नहीं है। 
और जब कोई चीज़ हमें नहीं मिलती या कोई घटना अथवा वातावरण हमारी इच्छा के अनुसार नहीं  होता - तो हम दुखी हो जाते हैं।

लेकिन जब हम एक सर्वशक्तिमान ईश्वर का ध्यान करने लगते हैं तो हमारा मन भटकना बंद कर देता है। 
यह स्थिर और संतुष्ट हो जाता है। 
बहुत सी अनावश्यक इच्छाएँ और लालसाएँ समाप्त हो जाती हैं - 
और अनायास ही जीवन में अधिक शांति और आनंद आने लगता है।
                             " राजन सचदेव "

Idol worshipping

                           Are Hindus the Only Idol Worshippers? Idol worship does not just refer to statues, pictures, or images on walls. ...