जीवन में कुछ भी करने के लिए - किसी भी चीज़ को प्राप्त करने में समय लगता है।
लेकिन फिर - समय ही सब कुछ छीन भी लेता है।
कोई भी सार्थक कार्य करने के लिए - किसी विशेष गुण अथवा प्रतिभा - या किसी महत्वपूर्ण वस्तु अथवा पद इत्यादि को हासिल करने के लिए प्रयास के साथ साथ समय की भी आवश्यकता होती है।
लेकिन अंततः - समय ही सब कुछ छीनने - सब कुछ नष्ट कर देने की ताकत भी रखता है।
इसलिए, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और प्रयास तो करना ही चाहिए लेकिन साथ ही यह भी याद रखना चाहिए कि इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है - कि कोई भी चीज़ हमेशा एक जैसी नहीं रहती - और न ही एक जैसी रह सकती है।
इसलिए जो भी हमारे पास है और जब तक है - उसकी क़दर करते हुए उसका आनंद लेने का प्रयास करें लेकिन कभी भी अपने प्रयासों और उपलब्धियों पर घमंड नहीं करना चाहिए।
याद रहे -
"हर चीज़ को प्राप्त करने में समय लगता है - और फिर समय ही सब कुछ छीन भी लेता है।
" राजन सचदेव "
सुंदर व्याख्या।
ReplyDeleteत्कर्म यन्न बंधाय सा विद्या या विमुक्तये।आयासायापरम् कर्म विद्यान्या शिल्पनैपुणम्। विष्णु पुराण के इस श्लोक का अर्थ है- कर्म वही है, जो बंधन में ना बांधे,विद्या वही है जो मुक्त करे।अन्य सभी कर्म केवल निरर्थक क्रिया है। अन्य सभी अध्ययन केवल शिल्पगिरी मात्र हैं।
Beautiful lines
ReplyDeleteVery nice 🙏🙏🙏❤️❤️❤️
ReplyDeleteSuperb 🙏🙏👌👌
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