ये दौर सोशल मीडिया का दौर है।
लेकिन ध्यान रहे कि जो कुछ भी हम सुनते हैं - या सोशल मीडिया पर पढ़ते या देखते हैं वह उनकी राय है - उनकी धारणा है -
- ये ज़रुरी नहीं कि वो सच ही हो।
हम अपने आस-पास जो कुछ भी देखते और महसूस करते हैं वह हमारा अपना दृष्टिकोण है -
- ये ज़रुरी नहीं कि अन्य लोगों का दृष्टिकोण भी वैसा ही होगा।
जब कोई हमें कुछ बताता है और कहता है - ' जो मैं कह रहा हूँ वह सच है ' -
- तो यह सिर्फ उनकी धारणा है कि वे जो सोच रहे हैं और कह रहे हैं - वही सच है।
लेकिन वो हर किसी के लिए मान्य नहीं हो सकता।
वो हर किसी के लिए सत्य नहीं हो सकता।
शायद हम कभी भी ये नहीं जान पाएंगे कि असल में सच क्या है - कम से कम पूरी तरह से तो नहीं जान पाएंगे।
सत्य दो तरह का होता है -- एक व्यक्तिपरक सत्य और दूसरा वस्तुपरक सत्य।
व्यक्तिपरक सत्य एक व्यक्तिगत सत्य है।
अर्थात यह विशेष रुप से किसी व्यक्ति, समुदाय या समाज के लिए तो सत्य हो सकता है -
लेकिन ज़रुरी नहीं कि वह सभी के लिए या पूरी दुनिया के लिए भी सत्य ही हो।
तो - अगली बार, जब कोई आप से किसी विशेष विषय पर बात करते हुए अपनी बात पर जोर देकर आपको प्रभावित करने की कोशिश करे कि वे जो कह रहे हैं वही सच है - तो याद रखें कि यह उनकी राय है - उनकी धारणा है - लेकिन ज़रुरी नहीं कि वो हर किसी के लिए सच ही होगा।
" राजन सचदेव "
Very well explained the difference between My Truth & The Truth
ReplyDelete🙏🏻🌹very well explained 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteयकीनन...एक सत्य परिवर्तनशील दूसरा अपरिवर्तन शील।
ReplyDeleteएक व्यक्तिफरक द्वितीय सार्वभौम। 🌺 यूं ही आप मानवता का मार्गदर्शन करते रहिए जी
Truly it depends upon ones own vision and intellect how someone understands and explains a situation .
ReplyDeleteThanks for providing such truthful thoughts useful to a common person