कृतज्ञता दो प्रकार की होती है।
पहली - उसके लिए जो हमें मिला है - जो हमारे पास है।
और दूसरी - उसके लिए जो हमें नहीं मिला - जो हमारे पास नहीं है।
पहली बात -
मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे पास वो सब है जो मुझे आरामदायक जीवन जीने के लिए आवश्यक है।
मैं आभारी हूं कि मेरे पास अपना घर है - आय का साधन है - एक वाहन है - एक सुन्दर परिवार है
- प्यारे - सुघड़ और सुशील बच्चे जो हमेशा मेरी सेवा और सहायता के लिए तैयार रहते हैं।
दूसरा -
मैं आभारी एवं कृतज्ञ हूं कि मुझे कोई गंभीर बीमारी, कोई कानूनी परेशानी या किसी भी प्रकार का कोई वित्तीय बोझ नहीं है।
मैं भाग्यशाली हूं कि मैं किसी गंभीर - दुःखदाई बीमारी से मुक्त हूं - और मेरे सामने कोई चुनौतीपूर्ण स्थिति नहीं है।
संसार में लाखों लोग ऐसे हैं जो गरीबी, भूख, हिंसा या कुछ घातक लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हैं।
मैं आभारी और शुक्रगुज़ार हूँ कि मैं ऐसी किसी भी स्थिति से बचा हुआ हूँ।
इसलिए हमें चाहिए कि हम हर छोटी छोटी बात पर क्रोध और शिकायत करना बंद कर दें।
और ये देखना और गिनना शुरु करें कि हमारे पास क्या है -
और सौभाग्यवश - क्या नहीं है।
" राजन सचदेव "
👌👌🙏
ReplyDelete🙏🙏🙏
ReplyDeleteReally bahut hee sunder aur shikhshadayak bachan ji .🙏
ReplyDeleteFirst of all one should admit that whatever he is having it's a blessing not my right it's privilege to me by this Omnipresent.
ReplyDeleteThen he will thank and then understand second one.
💐🙏👌
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻🌷
ReplyDelete🙏🙏कृपा करो जी यह शुक्राना जिन्दगी में बना रहे और करना भी आ जाए। बहुत ही शुक्रिया आप जी का चेतन करने के लिए🌹🙏🌹🙏🪴🙏
ReplyDeleteThanks for articulating this message .. so important and profound. 🙏🙏
ReplyDeleteHeartily greatful to you ji, for rendering this msg 🙏
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