Tuesday, April 30, 2024

Reason for Suffering

We suffer because we think - 
that things should be different than what they are.

However, every time, everything may not happen the way we want.
Every time, every situation may not turn out to be favorable to us.

Therefore, as the Bhagvad Geeta says - 
Do your best - to the best of your ability and accept whatever the outcome is.
Acceptance is the only way to contentment and peace.

                                         " Rajan Sachdeva "

Saturday, April 27, 2024

मधुर यादें - बाबा गुरबचन सिंह जी

जीवन में कोई घटना साधारण नहीं होती
मुलाकात किसी से भी अकारण नहीं होती
छोड़ गए वो मन पे मेरे  ऐसी गहरी छाप 
पूरी उनकी कमी कभी 'राजन ' नहीं होती
                           " राजन सचदेव "








































बाबा गुरबचन सिंह जी एवं राजमाता जी 
मेरी संगीत अकादमी में - फ़िरोज़पुर (पंजाब) 1968 


















बाबा गुरबचन सिंह जी एवं राजमाता जी 
जब मेरे निवास स्थान गाँधी नगर जम्मू में दो दिन और दो रात ठहरे - 1976 

Remembering Baba Gurbachan Singh ji

Jeevan mein koyi ghatnaa sadhaaran nahin hoti
Mulakaat kisi say bhi  Akaaran nahin hoti
Chhod gaye vo man pay meray aisi gehari chhaap
Poori un ki kami kabhi ' Rajan ' nahin hoti
                               ' Rajan Sachdeva '

No event in life is normal
No one crosses our path without reason
He left such a deep impression on my mind 
That can never be replaced by anyone again 











































Baba Gurbachan Singh ji and Rajmata ji
at my Music Academy in Ferozepur (Punjab) 1968
















Baba Gurbachan Singh ji and Rajmata ji
stayed for two days and nights at my home
in Gandhi Nagar - Jammu in 1976



Friday, April 26, 2024

Sarveshaam Mangalam Bhavatu - May Everyone be Prosperous

Sarveshaam Svastir Bhavatu
Sarveshaam Shaantir Bhavatu
Sarveshaam Poornam Bhavatu
Sarveshaam Mangalam Bhavatu
         (Brahadaranyak Upanishad)  

May there be health and happiness for all
May there be peace for all
May there be a feeling of fulfillment in all
May there be a success in everyone's life

  
Sarveshem     = All, Everyone, Everything 
Svastir            = Health/ well-being; 
Bhavatu         = let it be, may there be
Shanti             =  Peace 
Purnam          =  Complete, Perfection 
Mangalam     = Success (spiritual success), auspiciousness, prosperity, Happiness, Wellness, etc.  

May everyone be healthy and comfortable 
May everyone be at peace
May everyone find a sense of fulfillment in life
May everyone be prosperous and happy


सर्वेषां मङ्गलम भवतु

सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु - सर्वेषां शान्तिर्भवतु
सर्वेषां पूर्णं भवतु  -  सर्वेषां मङ्गलम भवतु
                      (वृहदारण्यक उपनिषद )

अर्थात :
सबका भला हो - सब स्वस्थ एवं निरोग रहें
सबके जीवन में और मन में शांति हो
सभी पूर्णता को प्राप्त करें - अर्थात जो भी कार्य करें उसमे सफल हों
सब का मंगल हो - सब का जीवन आनंद मंगल एवं शांति से परिपूर्ण हो  


Thursday, April 25, 2024

हर काम के लिए समय चाहिए

हर काम के लिए समय चाहिए। 

जीवन में कुछ भी करने के लिए - किसी भी चीज़ को प्राप्त करने में समय लगता है।
लेकिन फिर -  समय ही सब कुछ छीन भी लेता है।

कोई भी सार्थक कार्य करने के लिए - किसी विशेष गुण अथवा प्रतिभा - या किसी महत्वपूर्ण वस्तु अथवा पद इत्यादि को हासिल करने के लिए प्रयास के साथ साथ समय की भी आवश्यकता होती है।
लेकिन अंततः - समय ही सब कुछ छीनने - सब कुछ नष्ट कर देने की ताकत भी रखता है।

इसलिए, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और प्रयास तो करना ही चाहिए लेकिन साथ ही यह भी याद रखना चाहिए कि इस संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है - कि कोई भी चीज़ हमेशा एक जैसी नहीं रहती - और न ही एक जैसी रह सकती है।
इसलिए जो भी हमारे पास है और जब तक है - उसकी क़दर करते हुए उसका आनंद लेने का प्रयास करें लेकिन कभी भी अपने प्रयासों और उपलब्धियों पर घमंड नहीं करना चाहिए।
याद रहे - 
"हर चीज़ को प्राप्त करने में समय लगता है - और फिर समय ही सब कुछ छीन भी लेता है।
                                                     " राजन सचदेव "

Everything takes Time

Everything takes time - 
and then time takes everything away.

Accomplishing anything meaningful in life requires time.
Achieving anything important - to acquire any talent, important status, money, or position, requires a significant investment of time and effort.
But in the end, time has the power to strip away everything.

While we should strive to work hard to achieve our goals, at the same time, we should also remember that nothing is permanent in this world - that nothing stays the same forever. Everything changes over time. 
That is the law of nature, and we cannot control it.
By keeping this in mind, we can learn to appreciate what we have while we have it - and not be egotistic about our efforts and achievements.
Remember, 
   "Everything takes time, and then time takes away everything."
                                              " Rajan Sachdeva "

Wednesday, April 24, 2024

Everything we hear is an opinion - not a fact

We are living in the era of social media.
However, everything we hear from someone - or read or watch on social media is their opinion - 
- it may not be a fact.
Everything we see and feel around us is our perspective -
- it may not necessarily be true.
When someone tells us something and says: 'This is true' -
- it's simply their opinion of what they think is true.
It may not be a valid truth for everyone.
Perhaps we may never know what is true - at least not entirely.

There is a subjective truth and an objective truth.
Subjective truth is an individual truth.
It could be specifically true for an individual, a community, or a society
- not necessarily for everyone or the entire world.

So - next time, when you see someone talking on a particular subject and trying to influence you by emphasizing that what they are saying is the truth - remember that this is their opinion - it may not be essentially true for everyone.
                                                   " Rajan Sachdeva "

जो भी सुनते और पढ़ते हैं वे धारणाएं हैं - तथ्य नहीं

ये दौर सोशल मीडिया का दौर है। 
लेकिन ध्यान रहे कि जो कुछ भी हम सुनते हैं - या सोशल मीडिया पर पढ़ते या देखते हैं वह उनकी राय है - उनकी धारणा है  -
- ये ज़रुरी नहीं कि वो सच ही हो। 
हम अपने आस-पास जो कुछ भी देखते और महसूस करते हैं वह हमारा अपना दृष्टिकोण है - 
 - ये ज़रुरी नहीं कि अन्य लोगों का दृष्टिकोण भी वैसा ही होगा।  

जब कोई हमें कुछ बताता है और कहता है - ' जो मैं कह रहा हूँ वह सच है ' -
- तो यह सिर्फ उनकी धारणा है कि वे जो सोच रहे हैं और कह  रहे हैं - वही सच है।
लेकिन वो हर किसी के लिए मान्य नहीं हो सकता। 
वो हर किसी के लिए सत्य नहीं हो सकता। 
शायद हम कभी भी ये नहीं जान पाएंगे कि असल में सच क्या है - कम से कम पूरी तरह से तो नहीं जान पाएंगे।

सत्य दो तरह का होता है -- एक व्यक्तिपरक सत्य और दूसरा वस्तुपरक सत्य।
व्यक्तिपरक सत्य एक व्यक्तिगत सत्य है।
अर्थात यह विशेष रुप से किसी व्यक्ति, समुदाय या समाज के लिए तो सत्य हो सकता है -  
लेकिन ज़रुरी नहीं कि वह सभी के लिए या पूरी दुनिया के लिए भी सत्य ही हो।

तो - अगली बार, जब कोई आप से किसी विशेष विषय पर बात करते हुए अपनी बात पर जोर देकर आपको प्रभावित करने की कोशिश करे कि वे जो कह रहे हैं वही सच है - तो याद रखें कि यह उनकी राय है - उनकी धारणा है - लेकिन ज़रुरी नहीं कि वो हर किसी के लिए सच ही होगा।
                                         " राजन सचदेव "

Tuesday, April 23, 2024

Outward Rituals cannot destroy Ignorance

"Outward rituals cannot destroy ignorance -
because they are not mutually contradictory."

"Realized knowledge alone destroys ignorance... "

"Knowledge cannot spring up by any other means than inquiry."
                                     (Excerpts from ShatPadi (Hundred verses) by Adi Shankaracharya)

There are two parts to the above statement.

First - Ignorance can not destroy ignorance.
Ignorance cannot be eradicated by abandoning one misconception and adopting another.
Replacing one ignorance with another type of ignorance does not mean we have achieved Gyana - the true knowledge - the knowledge of Self or enlightenment.

Achieving Gyana means eliminating all ignorance, delusions, misconceptions, and blind faith.


Second - 
The only way to achieve Gyana is through inquiry - by questioning everything till completely satisfied. 
It is natural for questions to arise in the mind until there is a complete understanding.
Therefore, if there are any doubts or questions, it is better to resolve them by asking a Gyani - the learned ones. 

Gyana means the realization of truth.

Lord Buddha said: "Do not believe just because I am saying it.

Bhagavad Geeta says: "Pariprashanen Sevayaa" (BG 4-34)
'By the means of genuine and respectful inquiry' - by questioning respectfully.

I have heard Baba Avtar Singh ji emphatically saying:
Do not believe something simply because I am saying it.
Listen to me carefully - analyze it and compare it with the holy books and Shastras. If you are satisfied - then accept it - and adopt it in your life.
There is no place for ignorance, delusion, or blind faith in the mind of a Gyani.
                                              " Rajan Sachdeva "


बाहरी अनुष्ठान और क्रियाएं अज्ञान को नष्ट नहीं कर सकते

"बाहरी अनुष्ठान और क्रियाएं अज्ञान को नष्ट नहीं कर सकते -
क्योंकि वे परस्पर विरोधाभासी नहीं हैं।" 
"अनुभूत ज्ञान ही अज्ञान को नष्ट करता है..."
"प्रश्नोत्तर के अलावा किसी अन्य माध्यम से ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता।"
                  (आदि शंकराचार्य द्वारा रचित शतपदी के कुछ अंशों का अनुवाद)

उपरोक्त उक्ति अथवा वक्तव्य के दो भाग हैं।

पहला - अज्ञान से अज्ञान का नाश नहीं हो सकता। 
एक अज्ञान को किसी दूसरे प्रकार के अज्ञान से बदल लेने का अर्थ यह नहीं है कि हमने सत्य का ज्ञान - या आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया है।
एक भ्रम को छोड़ कर किसी दूसरे भ्रम को पाल लेने से अज्ञान नहीं मिट जाता। 
ज्ञान का अर्थ है हर प्रकार की अज्ञानता - भ्रम, गलत धारणाएं और अंधविश्वास की समाप्ति। 

दूसरा - जिज्ञासा और समीक्षा ही ज्ञान प्राप्ति का एकमात्र साधन है। 
अर्थात सत्य का ज्ञान केवल अनुसंधान - यानी तहक़ीक़ात - प्रश्नोत्तर और जाँच-पड़ताल के माध्यम से ही होता है। 
पूर्ण रुप से संतुष्ट होने तक जिज्ञासु के मन में प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है।  
पूरी तरह से संतुष्ट होने तक हर चीज पर सवाल उठाना मानवीय जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। 
यदि मन में कोई शंका हो - कोई प्रश्न हो तो किसी ज्ञानी महांपुरुष महात्मा से उस शंका का समाधान करवा लेना ही उचित है।  

ज्ञान का अर्थ है - सत्य की अनुभूति। 

भगवान बुद्ध ने कहा: "सिर्फ इसलिए विश्वास मत करो क्योंकि मैं यह बात कह रहा हूं।"

भगवान कृष्ण कहते हैं: "परिप्रश्नेन सेवया" (भगवद गीता  4-34)
"सेवा भाव से - श्रद्धा पूर्वक प्रश्न के द्वारा ज्ञान प्राप्त करो "

मैंने स्वयं शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी को यह कहते सुना है कि:
मेरी बात पर सिर्फ इसलिए विश्वास न करो क्योंकि मैं कह रहा हूं।
मेरी बातों को ध्यान से सुनो - उनका विश्लेषण करो - धर्म ग्रंथो और शास्त्रों से मिलाओ। 
अगर तसल्ली हो जाए - यदि आप संतुष्ट हो जाओ  - तब स्वीकार करना - तब इन बातों को सच मान कर अपने जीवन में अपना लेना।
एक ज्ञानी के मन में अज्ञान, भ्रम या अंध विश्वास के लिए कोई स्थान नहीं  होता।
                                             " राजन सचदेव "

Monday, April 22, 2024

Two Types of Gratitude

There are two types of gratitude.

The first type of gratitude is for what we have - what we have received.
The second is for what we did not get - what we do not have.

First - 
I am fortunate to have everything I need to live a comfortable life.
I am thankful that I have a home, a good source of income, a vehicle, and a loving family 
- loving and caring children who are always there for me in my time of need.

Second -
I am grateful that I do not have any serious illness, legal troubles, or financial burdens of any kind. 
I am fortunate to be free from any severe disease. 
I am grateful for not having to face any challenging situations.

I see and hear about millions of people who are suffering from poverty, hunger, violence, or some incurable terminal diseases. 
I am grateful that I have been spared from any such condition.

Let's stop getting angry and complaining about every small thing -
and start counting what we have and what we luckily do not have.
                                     " Rajan Sachdeva "

दो प्रकार की कृतज्ञता

कृतज्ञता दो प्रकार की होती है। 

पहली - उसके लिए जो हमें मिला है - जो हमारे पास है। 
और दूसरी - उसके लिए जो हमें नहीं मिला - जो हमारे पास नहीं है। 

पहली बात  -
मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे पास वो सब है जो मुझे आरामदायक जीवन जीने के लिए आवश्यक है। 
मैं आभारी हूं कि मेरे पास अपना घर है - आय का साधन है - एक वाहन है  - एक सुन्दर परिवार है 
- प्यारे - सुघड़ और सुशील बच्चे जो हमेशा मेरी सेवा और सहायता के लिए तैयार रहते हैं।

दूसरा - 
मैं आभारी एवं कृतज्ञ हूं कि मुझे कोई गंभीर बीमारी, कोई कानूनी परेशानी या किसी भी प्रकार का कोई वित्तीय बोझ नहीं है। 
मैं भाग्यशाली हूं कि मैं किसी गंभीर - दुःखदाई बीमारी से मुक्त हूं - और मेरे सामने कोई चुनौतीपूर्ण स्थिति नहीं है।

संसार में लाखों लोग ऐसे हैं जो गरीबी, भूख, हिंसा या कुछ घातक लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हैं।
मैं आभारी और शुक्रगुज़ार हूँ कि मैं ऐसी किसी भी स्थिति से बचा हुआ हूँ।
 
इसलिए हमें चाहिए कि हम हर छोटी छोटी बात पर क्रोध और शिकायत करना बंद कर दें।  
और ये देखना और गिनना शुरु करें कि हमारे पास क्या है - 
और सौभाग्यवश - क्या नहीं है। 
                                      " राजन सचदेव "

Friday, April 19, 2024

हर किसी को अपना दर्दो-ग़म न सुनाओ Don't share your pain with everyone

हर किसी को अपना दर्दो-ग़म न सुनाओ 
ज़ख्म दिल के ग़ैरों को हरगिज़ न दिखाओ 
जज़्बातों का दुनिया में कोई मोल नहीं 'राजन '
अहमियत चाहो तो हैसियत को बढ़ाओ 
                   " राजन सचदेव "
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Har kisi ko apnaa dardo-gam na sunaao 
Zakhm dil kay gairon ko hargiz na dikhao 
Jazbaaton ka duniya mein koyi mol nahin "Rajan'
Ehmiyat chaaho to Haisiyat ko badhaao
           " Rajan Sachdeva " 
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                English Translation 
Don't share your pain and sorrow with everyone
Never show the wounds of your heart to strangers
Emotions have no value in this world (says Rajan)
If you want some significance, then enhance your status 

Wednesday, April 17, 2024

Happy Ram Navami राम नवमी की शुभकामनाएं

                  Happy Ram Navami 




May the divine light of Lord Rama guide you towards the path of 
               Truth, Peace  & Happiness. 

Monday, April 15, 2024

Let's Replace

Let's Replace sugary drinks with water 
Replace junk food with pure and healthy food
Replace overthinking and empty planning with proper action 
Replace sloth and laziness with some activities
Replace blaming others with responsibility and accountability 
Replace Soap-operas and melodramas with beneficial educational and motivational videos
Replace wants and longings with contentment 
Replace complaining with gratitude 
Replace toxic friends with mentors 
Replace fear with faith, courage, and conviction 
Replace gossip and worries with Sumiran and Meditation

              " Rajan Sachdeva "

Saturday, April 13, 2024

A Beautiful Prayer about Growing Old

This morning, I received a Beautiful Prayer about Growing Old.
After reading and enjoying this prayer, I tried to search for the original author.
However, I found quite a few different versions of this prayer.
While its origin is obscure, some believe it represents a 17th-century nun - an unnamed Mother Superior.
Nonetheless, It's a beautiful prayer, and we can learn so much from it to make our lives more accepting and peaceful.
             ' Rajan Sachdeva '
                                  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

                                                 A PRAYER

“Lord, I know that I am growing older, and will someday be old.

Keep me from becoming talkative and possessive 
Free me from the idea that I must express myself on every subject 
and free me from the fatal habit of thinking that I must say something on every subject and on every occasion.
Release me from craving to try to straighten out everybody’s affairs.
Keep me from the recital of endless details - give me wings to get to the point.

Seal my lips when I am inclined to tell of my aches and pains.
They are increasing with the years, and my love to speak of them grows sweeter as the days go by.

Restrain me from telling what I have done for others, 
instead let me count my blessings in silence. 
Teach me the glorious lesson, that occasionally I may be wrong.

Make me thoughtful, but not moody and nosey - helpful but not bossy.
Keep me reasonably sweet.

Give me the ability to see the good things in unexpected places and talents in unexpected people. And, give me, O Lord, the grace to tell them so.

With my vast store of wisdom, it seems a pity not to use it all —
but Thou knowest, Lord, that I want a few friends at the end.”

                                          (Courtesy of Dr. V. Bajaj)


Friday, April 12, 2024

Vasudhaiv Kutumbakam - Whole earth is one family

 " Vasudhaiv Kutumbakam "
     ( The Whole Earth is One Family )

BAPS Hindu Temple hosting Ramadan/Iftar in Abu Dhabi 


        वसुधैव कुटुंबकम 
सारी  धरती एक ही कुनबा अर्थात परिवार है 

All the Arab Ministers and Arab Sheikhs of UAE Abu Dhabi and Dubai came to Abu Dhabi temple today in the month of Ramadan and completed their fasting of Ramadan fast at the temple in Prasad land.
Please watch the above video.




Friday, April 5, 2024

अपने भी अब कितने बेगाने से लगते हैं

बदले बदले चेहरे अनजाने से लगते हैं 
अपने भी अब कितने बेगाने से लगते हैं

वो ही मंज़र,दीवार-ओ-दर वो ही काशाने
ये रस्ते तो अपने पहचाने से लगते हैं  

रहती थी हर वक़्त जहां रौनक दीवाली सी 
अब वो महल चुबारे वीराने से लगते हैं 

खुल जाता है भेद शमा के जलते ही उनका 
शक़्ल-ओ-सूरत में जो परवाने से लगते हैं 

दिल में जाने कितने दुःख छुपाए बैठे हैं  
चेहरे से जो ग़म से अनजाने से लगते हैं  

प्रेम हुआ फिर शादी और फिर जीवन भर आनंद 
ये किस्से तो फ़िल्मी अफ़साने से लगते हैं 

सुनते थे बचपन में जिसकी लाठी उसकी भैंस
अब ये किस्से जाने पहचाने से लगते हैं   

जाने क्या देखा रिंदों ने साक़ी में 'राजन '
जिसको भी देखो वो दीवाने से लगते हैं  
                   " राजन सचदेव "

मंज़र             =  दृश्य, परिदृश्य  Scene, Scenario 
दीवार-ओ-दर  =  दीवारें और दरवाजे Walls and doors
काशाने          =  इमारतें, मकान, भवन, Buildings 
रिन्द    =  पीने वाले, पीने के शौक़ीन 

اپنے بھی اب کتنے بیگانے سے لگتے ہیں


بدلے بدلے چہرے انجانے سے لگتے ہیں 
اپنے بھی اب کتنے بیگانے سے لگتے ہیں 

وو ہی منظر دیوار و در وو ہی کاشانے 
یہ رستے تو اپنے پہچانے سے لگتے ہیں 


رہتی تھی ہر وقت جہاں رونق دیوالی سی 
اب وو محل چبارے ویرانے سے لگتے ہیں 

دل میں جانے کتنے دکھ چھپاہے بیٹھے ہیں 
چہرے سے جو غم سے انجانے سے لگتے ہیں 
 
کھل جاتا ہے بھید شمع کے جلتے ہی انکا 
شقل-و-صورت میں جو پروانے سے لگتے ہیں 

پیار کیا پھر شادی اور پھر جیوں بھر آنند 
یہ قصے تو فلمی افسانے سے لگتے ہیں 

سنتے تھے بچپن مے جس کی لاٹھی اسکی بھینس 
اب یہ قصے جانے پہچانے سے لگتے ہیں

جانے کیا دیکھا رندوں نے ساقی میں راجن 
جسکو بھی دیکھو وو دیوانے سے لگتے ہیں
                " راجن سچدیو "

Apnay bhi ab begaanay say lagtay hain - Our own people seem like strangers now

          Scroll down for English Translation

Badlay badlay chehray anjaanay say lagtay hain 
Apnay bhi ab kitnay begaanay say lagtay hain 

Vo hee manzar, deevaar-o-dar, vo hee kashaanay
 Ye rastay to apnay pehchaanay say lagtay hain 

Rehti thi har vaqt jahaan  raunak deevaali see
Ab vo mehal chubaaray veeranay say lagtay hain 

Khul jaataa hai bhaid shamaa kay jaltay hee un ka 
Shaql-o-soorat mein jo parvaanay say lagtay hain 

Dil mein jaanay kitnay duhkh chhupaaye baithay hain 
Chehray say jo  gam say anjaanay say lagtay hain 

Prem huaa phir shaadi aur phir jeevan bhar aanand 
Ye kissay to filmi afsaanay say lagtay hain 

Suntay thay bachpan mein jis kee laathi us ki bhains 
Ab ye kissay jaanay pehchaanay say lagtay hain 

Jaanay kya dekha rindon nay saaqi mein 'Rajan'
Jis ko  bhee dekho vo deevaanay say lagtay hain 
                                " Rajan Sachdeva "

Manzar                = Scene, Scenery, Panorama, Decor 
Deevaar-o-Dar   = Walls and doors
Kashaanay          = Buildings, Dwellings 
Anjaanay             = Unknown, Unfamiliar, Unaware 
Rind                     = fond of drinking, Intoxicated 

                                      Translation
All familiar faces have changed now and seem so unfamiliar 
Our own people seem like strangers now 

Same decor, same walls and doors, and same dwellings 
This place, these streets look so familiar. 

It used to be as bright and lively as Diwali all the time.
But now it looks like an abandoned, deserted place.

The secret is revealed as soon as the candle is lit 
- about those that resemble moths in appearance

We never know how many sorrows are hidden in their hearts - 
Whose faces seem to be oblivious to sorrows.

First love, then marriage, and then lifelong happiness.
Such stories seem like stories from the movies only.

In childhood, we heard that he, who has the stick, owns the buffalo.
Now - we see such phenomena every day around us.

Don't know what they saw in the bartender (the leader) 
Everyone seems to be so intoxicated and engaged. 
                               "Rajan Sachdeva"

Thursday, April 4, 2024

हर समस्या का समाधान होता है

लगता है कि हर व्यक्ति के पास हर समस्या का समाधान होता है - 
    लेकिन ऐसी समस्या -  जो अपनी नहीं - किसी और की हो 

औरों को समझाना - हर बात में सलाह मशविरा देना बहुत आसान होता है - 
"अजी क्या फ़र्क़ पड़ता है - ऐसी छोटी छोटी बातों से घबराया न करो - इन्हें दरगुज़र कर दिया करो - आशावादी रहो  - मस्त रहो - जीवन का आनंद लो " - इस तरह की बातें कह के हम अक़्सर औरों की समस्याओं को टालने का यत्न करते हैं - उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं। 
 
लेकिन अगर वही बात - वही घटना हमारे साथ हो जाए तो हमारी सोच - हमारा व्यवहार बदल जाता है। 
जो लोग अक़सर दूसरों को दरगुज़र करने और आशावादी बने रहने की सलाह और प्रेरणा दिया करते हैं - अगर वही बात उनके साथ हो जाए तो फिर वही लोग ये कहते हुए पाए जाते हैं कि " ये तो ठीक नहीं है - ऐसा तो नहीं होना चाहिए -- ये तो सरासर बेइंसाफ़ी है" इत्यादि। 

होना तो ये चाहिए कि  - जो दूसरों को कहते हैं - वही बात - वही सोच अपने लिए भी होनी चाहिए।  

या तो हम भी वही करें जो दूसरों को करने के लिए कहते हैं - 
या फिर - जैसा अपने लिए चाहते हैं - ठीक वैसा ही दूसरों के लिए भी सोचना और माँगना चाहिए।   

हम अपना अपमान तो सहन नहीं कर सकते - 
अपने लिए तो हर किसी से आदर और सत्कार की अपेक्षा रखते हैं लेकिन किसी दूसरे का आदर सत्कार होते नहीं देख सकते - किसी और की प्रशंसा सहन नहीं कर सकते। और ईर्ष्यावश उसे रोकने का प्रयास करते हैं।  

हक़ीक़त तो ये है कि हर इन्सान को अपने जैसा समझना ही इन्सानियत है। 
इन्सानियत का अर्थ है - किसी से भी - किसी भी प्रकार का भेदभाव न रखते हुए हर इन्सान को ठीक अपने जैसा ही समझना और उन्हें यथोचित प्रेम और आदर देना।  
                                                         " राजन सचदेव "

Everyone has a solution to every problem

It seems - everyone has a solution to every problem
As long as it's someone else's problem - not theirs.

It is easy to give advice to others. 
Usually, people try to guide others and try to solve their problems by saying things like:   
"What difference does it make - don't worry about such small things - let them pass by - be optimistic - let's forget it - let's move on- be happy - enjoy life, etc.

But if the same thing or the same incident happens to them, their behavior changes.

People who often give advice and tell others to be accepting and optimistic - start thinking and behaving differently when something similar happens to them.
They are usually found saying, "This is not right - this should not happen this way - this is sheer injustice, etc.
Shouldn't we think and do the same as we tell others to do?

We should either do what we advise others to do - 
Or we should ask for the same for others what we want for ourselves. 

We don't want to endure insults - 
We expect respect and admiration from everyone. 
But at the same time, we cannot tolerate anyone else being praised, honored, and respected. 
We feel jealous and try to prevent it. 

The meaning of humanity is to consider every human being the same as one's own self - without any type of discrimination.
                               "Rajan Sachdeva "

What is Moksha?

According to Sanatan Hindu/ Vedantic ideology, Moksha is not a physical location in some other Loka (realm), another plane of existence, or ...