इंसान का जीवन और व्यक्तित्व - तन, मन, बुद्धि एवं चित्त में बंटा होता है।
जीवित और स्वस्थ रहने के लिए केवल तन को ही नहीं - बल्कि प्रत्येक हिस्से को उपयुक्त भोजन की आवश्यकता होती है।
हमें जीवन में अग्रसर होने के लिए इन सभी को उनके उपयुक्त भोजन - अर्थात शाररिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक भोजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाने की आवश्यकता होती है।
जिस प्रकार शरीर का भोजन है अन्न
उसी तरह मन का भोजन है विचार
और बुद्धि का भोजन है ज्ञान
जिस प्रकार शरीर को दिया हुआ भोजन हमारे अनजाने में अपने आप पाचनक्रिया के माध्यम से स्वयंमेव ही ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है उसी प्रकार मन में उत्पन्न होने वाले विचार और बुद्धि से प्राप्त किया हुआ ज्ञान भी स्वयंमेव ही चित्त (Subconscious) में अर्जित होते रहते हैं और हमारे आगामी जीवन एवं परलोक को प्रभावित करते हैं।
इसलिए - जैसे शरीर को जीवित और स्वस्थ रखने के लिए हम अच्छे साफ सुथरे और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का प्रबंध करते हैं उसी प्रकार अध्यात्मिकता एवं शान्ति के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए मन और बुद्धि के लिए भी अच्छे, नेक - शुद्ध एवं पवित्र विचार तथा सत्य एवं यथार्थ ज्ञान रुपी भोजन उपलब्ध करवाने का प्रबंध करते रहना चाहिए।
" राजन सचदेव "
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Beautiful. Thank you for sharing🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर 🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹
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