Monday, May 10, 2021

मातृ दिवस पर

एक बार बी जी (मेरी माता जी) ने मुझसे पूछा -
“क्या तुम जानते हो कि सेना के अधिकारी और सैनिक हर सुबह जल्दी क्यों उठते हैं - पूरी वर्दी पहन कर तैयार हो कर रोज़ पी टी परेड क्यों करते हैं? वे नियमित रुप से अपने हथियारों की जांच और सफाई क्यों करते हैं? ”

मैंने कहा " उनका काम सिर्फ देश की रक्षा के लिए लड़ना है लेकिन जब कोई युद्ध न हो रहा हो तो उनके पास करने के लिए कोई और काम नहीं होता इसलिए वो रोज़ पी टी परेड और अपने हथियारों की जांच और सफाई करते रहते हैं।

बीजी ने मुस्कुराते हुए कहा - नहीं "
"तो फिर मुझे नहीं पता बी जी। आप ही बताईए।"

उन्होंने कहा, "बेशक कोई युद्ध न भी हो रहा हो - तो भी वो जानते हैं कि दुश्मन किसी भी समय हमला कर सकता है। इसलिए वो हर समय तैयार रहना चाहते हैं।
अतीत में कई बार ऐसा हुआ है कि कुछ सेनाएँ बहुत महान, समृद्ध और शक्तिशाली होते हुए भी हार गईं क्योंकि कोई भी सिपाही और अधिकारी युद्ध के लिए तैयार नहीं थे। जब उन पर अचानक हमला हुआ तो वे शराब पी रहे थे और नाच रहे थे - पार्टियों का आनंद ले रहे थे या सो रहे थे।
वे हार गए क्योंकि उन्होंने तैयारी और पहरेदारी छोड़ दी थी। 
वो लापरवाह हो गए थे।
एक अच्छा जनरल अपने सैनिकों को हर समय सतर्क और तैयार रखता है ताकि वे अनभिज्ञ और आलसी न हो जाएं - कहीं ऐसा न हो कि वो अपने युद्ध कौशल को भूल ही जाएं। कहीं उनके अस्त्र शस्त्र पड़े पड़े जंग लग जाने से बेकार न हो जाएं इसलिए उनकी देखभाल और साफ़ सफ़ाई करना भी ज़रुरी है। 

फिर बीजी ने समझाया कि इसी तरह एक भक्त को भी हमेशा सतर्क और तैयार रहना चाहिए क्योंकि काम, क्रोध, लोभ और अहंकार जैसे शत्रु किसी भी समय मन पर हमला कर सकते हैं।
जिस तरह शत्रु के जासूस गुप्त रुप से किसी सेना के शिविर में प्रवेश करके उसे अंदर से नष्ट कर देते हैं, उसी प्रकार अहंकार, आसक्ति और ईर्ष्या इत्यादि भी चुपचाप एक लापरवाह और सोते हुए मन में प्रवेश कर सकते हैं और उसकी भक्ति और श्रद्धा को भीतर से नष्ट कर सकते हैं।
इसलिए एक भक्त को हमेशा सतर्क रहना चाहिए और अपने 'हथियारों' को तेज एवं प्रखर रखना चाहिए। 
भक्त के हथियार हैं सत्संग और सुमिरन।
जैसे एक महान शक्तिशाली सेना भी अगर अपने हथियारों को तेज और सेना को अप-टू-डेट नहीं रखती तो हार सकती है इसी तरह अगर कोई भक्त सत्संग और सुमिरन रुपी हथियारों को मजबूत नहीं रखता तो वह भी काम क्रोधादि पंच शत्रुओं से हार सकता है।"

आज, 'मातृ दिवस' पर, मैं यह कामना और प्रार्थना करता हूं कि यह महान शिक्षा - जो उन्होंने मेरी सांसारिक यात्रा की सफलता और बंधन-मुक्त होने के लिए दी - मुझे हेमशा याद रहे।
                                      ' राजन सचदेव '

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